Dev Deepawali 2023: देव दीपावली में इस बार करें कुछ खास तैयारी, जानिए कब है मुहुर्त
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Dev Deepawali 2023: देव दीपावली में इस बार करें कुछ खास तैयारी, जानिए कब है मुहुर्त

Dev Deepawali 2023: देव दीपावली के दिन गंगा नदी के तट पर दीपक जलायें जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर उतरते हैं. देव दीपावली को त्रिपुरा पूर्णिमा स्नान के रूप में भी मनाया जाता है.

Dev Deepawali 2023: देव दीपावली में इस बार करें कुछ खास तैयारी, जानिए कब है मुहुर्त

Dev Deepawali 2023:  देव दीपावली हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन होता है. देव दीपावली का देवताओं की दिवाली और देवताओं के प्रकाश का त्योहार भी कहा जाता है. देव दीपावाली हिन्दू पंचांग सबसे शुभ मास कार्तिक की पूर्णिमा पर पड़ता है. देव दीपावली दिवाली के पंद्रह दिन बाद होती है.

देव दीपावली के दिन गंगा नदी के तट पर दीपक जलायें जाते हैं. यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन वाराणसी और हरिद्वार में विशेष होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर उतरते हैं. देव दीपावली को त्रिपुरा पूर्णिमा स्नान के रूप में भी मनाया जाता है.

देव दिवाली त्योहार के दिन वाराणसी में स्थित गंगा के सभी घाट दियों से जगमगा जाते हैं. इसे देखने के लिए विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दिन वाराणसी के घाटों में गंगा आरती में शामिल होने के लाखों लोग आते हैं. इस नजरिए को देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते है. वाराणसी में इस दिन गंगा महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.

शुभ मुहुर्त
देव दीपावली 2023
रविवार, 26 नवंबर 2023
देव दीपावली मुहूर्त: 05:08 अपराह्न से 07:47 PM
पूर्णिमा तिथि शुरू: 26 नवंबर 2023 अपराह्न 03:53 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 नवंबर 2023 दोपहर 02:45 बजे

गंगा महोत्सव
गंगा महोत्सव वाराणसी में एक पर्यटक केंद्रित त्योहार है, जो हर साल पांच दिनों में मनाया जाता है, जो अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान प्रबोधनी एकादशी से शुरू होता है. कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है. इस दिन वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखा जा सकता है.

देव दीपावली के पीछे मान्यता
देव दीपावली को लेकर एक विशेष मान्यताहै. इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर के आतंक से मनुष्यों, संत और देवी-देवताओं का भी जीना मुश्किल था. त्रिपुरासुर के आंतक से परेशान होकर सभी देवी देवता भगवान शिव के पास गए. त्रिपुरासुर के अंत हेतु भगवन शिव से निवेदन किया. भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का अंत कर दिया, जिसका आभार व्यक्त प्रकट किया और सभी देवी-देवता ने भगवान शिव की प्रिय नगरी काशी में अनेकों दीपक जलाकर खुशी मनाई थीं. यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाई जाती है.

देव दीपावली का महत्व
देव दीपावली की हिन्दू धर्म में विशेष अहमियत है. इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं. इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करना चाहिए और दीप दान करना चाहिए. इससे सभी देवता प्रसन्न होते है और अपनी कृपा दृष्टि करते हैं.

देव दीपावली की पूजा
इस दिन सूर्यादय से पहले गंगा नदी में स्नान करें.
यदि गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं, तो घर पर ही स्नान करने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए.
इस दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करना चाहिए.
गंगा नदी में संध्या के समय दीप दान करना चाहिए या अपने घर व मंदिर में दीप जलानें चाहिए.

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