Mahashivratri 2024: पुराणों के अनुसार शिव जी को तुलसी दल चढाने से पुण्य की जगह पाप मिलता है और शिव जी कुपित हो जाते हैं.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त अपनी श्रद्धानुसार शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं, ताकि महादेव की कृपा हमेशा बनी रहे. 8 मार्च दिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
महाशिवरात्रि पर शिवभक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग तरीके से पूजा अर्चना करते हैं. शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा सबसे सरल बताई गई है, उनको मात्र एक लोटा जल अर्पित करने से ही प्रसन्न किया जा सकता है इसलिए भक्त उनको भोलेनाथ कहते हैं.
हम लोग जानकारी के अभाव में शिवलिंग पर कुछ ऐसी चीजें अर्पित करते हैं, जिससे महादेव नाराज हो सकते हैं. शिव पुराण में भगवान शिव की पूजा में कुछ ऐसी चीजें के बारे में बताया गया है, जिनको उन्हें अर्पित करना वर्जित बताया गया है.आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार, कौन सी चीजें है जो शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती है.
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव का शंख से जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. इसके पीछे पौराणिक कथा है कि शंखचूड़ नामक असुर से सभी देवी देवता परेशान थे. तब शिव जी ने त्रिशूल से शंखचूड़ असुर का वध किया, जिससे उसका शरीर भस्म हो गया. उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई. इसलिए शिव पूजन में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता.
हल्दी का हिंदू धर्म के किसी मांगलिक कार्य में उपयोग किया जाता है. लेकिन भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग वर्जित बताया गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि हल्दी का संबंध महिलाओं से है और शिवलिंग को पुरुष तत्व माना गया है. इसी कारण भोले की पूजा में हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता.
सनातन धर्म में तुलसी को पवित्र माना गया है. सभी शुभ कार्यों में तुलसी का प्रयोग किया जाता है लेकिन भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित मानी गई हैं. इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था, जिससे क्रोधित होकर तुलसी खुद ही शिव की पूजा से वंचित कर दिया था. इसलिए बाबा की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग नहीं किया जाता.
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर केतकी, कावड़ फूल, चंपा, कनेर लाल रंग के फूल जैसे कमल आदि अर्पित नहीं किए जाते हैं. शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चीजें अर्पित करने से पूजा का पूरा फल मिलता है.
सभी देवी देवताओं की पूजा में कुमकुम-रोली और सिंदूर चढ़ाया जाता है. लेकिन शिवलिंग पर इनका प्रयोग करना वर्जित बताया गया है. शिवलिंग पर चंदन या भस्म का प्रयोग कर सकते हैं.
हिंदू धर्म के किसी भी शुभ व मांगलिक कार्यों में अक्षत का प्रयोग किया जाता है. शिवलिंग पर हमेशा साबुत अक्षत अर्थात चावल का प्रयोग करना चाहिए. टूटे हुए चावल को भूलकर भी शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि अक्षत पूर्णता का प्रतीक माना जाता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.