मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है. मंगल ग्रह समय-समय पर राशि परिवर्तन करते हैं. जिसका असर राशि के जातकों पर पड़ता है.
शनि ग्रह को कर्मों का देवता कहा गया है. वह कर्मफलदाता हैं. शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं. दोबारा उस राशि में लौटने में उनको 30 साल लग जाते हैं.
अभी शनि कुंभ राशि में मौजूद हैं जबकि मंगल कर्क राशि में डेरा डाले हैं. शनि कुंभ में 29 मार्च 2025 तक रहेंगे. जबकि मंगल 7 दिसंबर को कर्क राशि में वक्री हो रहे हैं. वह 21 जनवरी 2025 तक इसी राशि में रहेंगे.
मंगल और शनि एक दूसरे से छठे और आठवें भाव में मौजूद हैं. शनि और मंगल की युति से षडाष्टक योग का निर्माण हो रहा है. यह कब बनेगा और किन राशियों के लिए लाभकारी हो सकता है.
शनि और मंगल के मिलने से षडाष्टक योग का निर्माण होगा.
यह योग तब बनता है जब दो ग्रह एकदूसरे के 150 डिग्री दूरी पर होते हैं. या फिर एक दूसरे के छठे या 8वें भाव में होते हैं.
मेश राशि के जातकों के लिए यह योग लाभकारी हो सकता है. वैवाहिक जीवन खुशहाल होगा. घर में सुख-समृद्धि आएगी. नौकरीपेशा हैं तो प्रमोशन हो सकता है. आर्थिक तरक्की के योग बनेंगे.
तुला राशिवालों के लिए भी षडाष्टक योग मंगलकारी हो सकता है. आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है. बड़ों का आशीर्वाद और सहयोग मिलेगा. बिगड़े हुए काम बनेंगे. भाग्य का साथ मिलेगा.
कुंभ राशि के जातकों को अलग-अलग क्षेत्रों में फायदा मिलेगा. नौकरी पेशा हैं तो तरक्की के योग बनेंगे. व्यापार में लाभ मिलेगा. निवेश किया तो यहां से अच्छा रिजल्ट मिल सकता है.
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