क्या पिता और पति को भी राखी बांध सकते हैं, क्या कहता है ज्योतिष और धार्मिक मान्यता
Raksha Bandhan 2023: राखी को रक्षा कवच भी कहा जाता है...भाईअपनी बहन की रक्षा के लिए वादा करता है...प्राचीन काल में भी रक्षासूत्र बांधे जाते रहे हैं...इनका कई धर्म शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है...भगवान कृष्ण ने जब द्रौपदी की लाज बचाई थी तब पांचाली ने उनको राखी जैसा धागा बांधा था...इस लेख में जानते हैं कि क्या भाई के अलावा पति और पिता को भी राखी बांध सकते हैं...
Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. भाई और बहन के प्रेम के इस त्योहार को बस अब कुछ ही दिन बचे हैं. अभी से ही बाजार में रक्षाबंधन के त्योहार की रौनक दिखने लगी है. रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है, जो देश के सभी राज्यों में मनाया जाता है. भारत में रक्षाबंधन का त्योहार सभी राज्यों में अपनी-अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाया जाता है. राखी पर भाई के अलावा भी हम किसी को राखी बांध सकते हैं क्या? जी हां कुछ शास्त्रों में राखी को भाई के अलावा पति-पिता और भतीजे को राखी बांध सकते हैं. रक्षा सूत्र प्राचीन काल में किसी को भी बांध सकते थे.
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इन हालात में बांध सकते हैं राखी
अगर आप इस समय ये सोच हैं कि क्या पत्नी अपने पति को भी राखी बांध सकते हैं?' तो फिर इसका उत्तर हम दे रहे हैं हां...एक पत्नी राखी अपने पति को बांध सकती है. पति ही नहीं स्त्री अपने पिता को भी राखी बांध सकती है. ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि राखी रक्षा के वादे को जताने का एक धागा है. इसे साबित करने के लिए कई कहानियां औऱ किवंदतियां मौजूद हैं.
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देवराज इंद्र की पत्नी ने भी बांधा रक्षा सूत्र
हम आपको बताते हैं कि देवताओं के राजा इंद्र और उनकी पत्नी, इंद्रणी की ऐसी ही एक कहानी है. किसी समय देवता, शैतानों के खिलाफ युद्ध लड़ रहे थे. देवता हार रहे थे तब देवराज इंद्र चिंतित हो गए. क्योंकि वह जानते थे कि यदि राक्षस युद्ध जीतते हैं, तो यह पृथ्वी के लिए अच्छा नहीं होगा. उन्होंने ऐसा सोचकर युद्ध में खुद जाने का फैसला किया. उनके साथ उनकी पत्नी इंद्राणी भी थी. उनकी पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए एक अपने पति को लेकर चिंतित हुईं, और उन्होंने ताबीज तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया. ऐसा कहा जाता है कि ऐसे इंद्र ने युद्ध जीत लिया. ताबीज तब से, रक्षा सूत्र के रूप में जाना जाने लगा. इसके अलावा भी बहुत सी कहानियां हैं जो कही और सुनी जाती हैं.एक एलेक्जेंडर से जुटी है तो दूसरी कहानी मुगलों से जुड़ी है.
ये कहानियां यह साबित करती हैं कि राखी का त्योहार कोई बंधन नहीं जानता. राखी सुरक्षा के एक वादे को बताता. रक्षा सूत्र का वादा किसी के लिए दिया जा सकता है. पहले क्षत्रिय औरतें आपने पति को युद्ध में भेजने से पहले टीका करती थी और रक्षा सूत्र बांधती थी.
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