Shardiya Navratri Ghatsthapana 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन के महीने  खत्म होते ही त्योहारों का माह शुरू हो जाता है.  अगस्त से नवम्बर माह तक हिन्दू धर्म के बहुत महत्वपूर्ण पर्व आते हैं. इन त्योहारों में शारदीय नवरात्रि प्रमुख है, भक्त इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस साल शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से शुरू होगी. देवी दुर्गा को समर्पित यह त्योहार 15 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर 2023 तक चलेगा.  24 अक्टूबर को विजयादशमी का त्योहार जिसे दशहरा भी कहा जाता है मनाया जाएगा.


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साल में पड़ती हैं 4 नवरात्रि
हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत शुभ माना गया है. साल में 4 बार नवरात्रि पड़ती हैं. शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती हैं और नवमी तिथि को खत् होती हैं. मां दुर्गा की उपासना का यह पर्व इस साल 15 अक्‍टूबर 2023 से शुरू हो रहा है. वहीं 24 अक्‍टूबर 2023 को दशहरा के दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होगा. 


शारदीय नवरात्रि घटस्‍थापना मुहूर्त 2023 


हिंदी पंचांग के अनुसार अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू हो जाएगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी. इसी दिन घटस्‍थापना की जाएगी. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. 


कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 
15 अक्टूबर-सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक. इस वर्ष  कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 48 मिनट का ही रहेगा.


शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां 
15 अक्टूबर 2023- दिन रविवार-प्रतिपदा तिथि-घटस्थापना और मां शैलपुत्री पूजा
16 अक्टूबर 2023- दिन सोमवार-द्वितीया तिथि-देवी ब्रह्मचारिणी पूजा
17 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार-तृतीया तिथि-मां चंद्रघंटा पूजा
18 अक्टूबर 2023- दिन बुधवार-चतुर्थी तिथि-मां कूष्माण्डा पूजा
19 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार-पंचमी तिथि देवी स्कन्दमाता पूजा
20 अक्टूबर 2023- दिन शुक्रवार-पष्ठी तिथि-मां कात्यायनी पूजा
21 अक्टूबर 2023- दिन शनिवार- सप्तमी तिथि- मां कालरात्रि पूजा
22 अक्टूबर 2023- दिन रविवार- दुर्गा अष्टमी -महागौरी पूजा और दुर्गाष्टमी
23 अक्टूबर 2023- दिन सोमवार- शरद नवरात्र व्रत पारण, महानवमी
24 अक्टूबर 2023- दिन मंगलवार-मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन (दशहरा)


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नवरात्रि कलश स्थापना विधि 
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्‍दी स्नान करें और मंदिर की साफ-सफाई करें.  सबसे पहले गणेश जी का नाम लें, उनकी पूजा करें. इसके बाद मां दुर्गा के नाम से मंदिर में अखंड ज्योत जलाएं.  कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. उसके बाद तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं.


फिर लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. कलश में सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. कलश के ऊपरी हिस्‍से पर अशोक या आम के 5 या 7 पत्ते लगाएं. फिर इन पत्‍तों के बीच कलश के ऊपर लाल कपड़े में मौली से बंधा नारियल रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस बर्तन के ठीक बीचों बीच रखें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि में 9 दिन के व्रत भी रख सकते हैं. रोज सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा और आरती करें. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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