जन्माष्टमी पर मथुरा-वृंदावन ही नहीं, श्री कृष्ण के इन 5 मंदिरों का करें दर्शन, यादगार रहेगी तीर्थयात्रा
Krishna Janmashtami 2023: क्या आप परिवार या अकेले कृष्ण जन्माष्टमी पर घूमने का प्लान बना रहे हैं...तो आप भगवान श्रीकृष्ण का भव्य जन्मोत्सव देखने जा सकते हैं...हम आपको ऐसी जगहों के बारें में बताने जा रहा हैं जहां भव्य और अलौकिक जन्मोत्सव मनाया जाता है...
Best Places To Visit In Janmashtami: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. श्री कृष्ण की जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. इस साल जन्माष्टमी बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि इस बार कान्हा का जन्मदिवस बुधवार को ही मनाया जाएगा. हालांकि जन्माष्टमी की तारीख को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कंफ्यूजन बना हुआ है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी 6 या 7 सितंबर कब मनाई जाएगी.
जन्माष्टमी 2023 तिथि
भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरू
6 सितंबर 2023, दोपहर 03.37
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त
7 सितंबर 2023, शाम 04.14
भारत में ऐसी कई जगह है जहां कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भव्य कृष्ण जन्मोत्सव देखने को मिलता है. लोग दूर-दूर से कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने आते हैं. अगर आप भी इस जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होना चाहते हैं तो इन जगहों पर अपने परिवार के साथ जरूर जाएं. इन जगहों का इतिहास भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है.
मथुरा (Mathura)
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा (Mathura) की जन्माष्टमी बहुत ही खास होती है. यहां दो भाग में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा जाना सबसे अच्छा रहेगा. यूपी के यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान कहा जाता है. बालगोपाल का जन्म मथुरा में ही हुआ था. यहां भगवान श्री कृष्ण के बहुत से मंदिर है. कृष्ण के जन्म के समय इन मंदिरों में एक साथ पूजा की जाती है. पारंपरिक शंख, मंदिर की घंटियों और मंत्रभजनों की ध्वनि की गूंज अलग ही दुनिया में ले जाती है. इस दिन यहां मंदिरों को एकदम दुल्हन की तरह सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों का तांता लगता है. यहां बांके बिहारी, द्वारकाधीश, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं.
वृंदावन (Vrindavan)
वृंदावन धर्म नगरी मथुरा से लगभग 14 से 15 किलोमीटर दूरी पर है. श्री कृष्ण वृंदावन में श्री कृष्ण पले बढ़े थे. भगवान श्रीकृष्ण यहां बड़े हुए, गोपियों के साथ रासलीला की, राधा रानी से प्रेम किया. यहां का जन्मोत्सव सबसे भव्य माना जाता है. वृंदावन को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है. विष्णु पुराण में भी वृंदावन की महिमा का वर्णन किया गया है.वृंदावन में गोविंद देव मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. निधि वन, रंगनाथजी मंदिर, राधारमण मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहां से सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से हैं.
गोकुल (Gokul)
गोकुल मथुरा से करीब 25 किलोमीटर दूर बसा हुआ है. भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद यमुना नदी पार करके वासुदेव भगवान श्री कृष्ण को नंद बाबा के घर के यहां छोड़ कर गए थे. यह स्थान भगवान श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ा है. यहां की जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है. यहां आप राधा रमन मंदिर और राधा दामोदर मंदिर में दर्शन कर सकते हैं.
द्वारका (Dwarka)
द्वारिका का भी बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है. द्वारका वर्तमान में गुजरात में है. द्वारका (Dwarka) की पहचान कृष्ण के राज्य के रूप में है. यह वही जगह है, माना जाता है कि मथुरा छोड़ने के बाद करीब पांच हजार वर्षों तक कृष्ण यहीं रहें. पौराणिक कथा के अनुसार यह स्थान श्री कृष्ण के भाई बलराम ने बनाया था. यहां की जन्माष्टमी सबसे खास मानी जाती है. यहां जन्मोत्सव के वक्त शहर के सभी हिस्सों में दिव्य और अलौकिक मंगला आरती की जाती है.
जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri)
जगन्नाथ मंदिर भारत का सबसे पवित्र चार धाम मंदिरों में से एक माना जाता है. जन्माष्टमी के दिन यहां पर काफी भव्य महोत्सव होता है. यह पुरी में स्थित है. यहां पर भगवान जगन्नाथ की बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं. जगन्नाथ मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित हैं
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