Kharmas 2023: खरमास का  16 दिसंबर से आरंभ हो गया है और यह 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर समाप्‍त हो जाएगा.  खरमास में शादी, विवाह, मुंडन और गृ‍ह प्रवेश जैसे संभी संस्‍कार जैसे शुभ कार्य नहीं होते हैं.  खरमास मकर संक्रांति के बाद समाप्‍त होता है और इसके समाप्‍त होते ही सभी शुभ कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं. खरमास में तुलसी पूजा से जुड़े कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. इन नियमों का पालन नहीं करने पर मां लक्ष्मी नाराज  हो सकती हैं और आपको आर्थिक परेशानी का सामना कर पड़ सकता है. हिंदू शास्त्रों में तुलसी को बहुत पवित्र और पूजनीय पौधा माना गया है. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का वास होता है वहां लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है. इस लेख में जानते हैं खरमास के दिनों में तुलसी पूजा के नियम और पूजा विधि.


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Kharmas 2023: खरमास के दिनों में किए गए ये शुभ काम पैदा कर देंगे मुश्किलें, मलमास में भूलकर भी न करें गलतियां


तुलसी पूजा करें या नहीं
सूर्य देव जब धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो एक माह तक खरमास लग जाते हैं. खरमास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन आदि कार्य बंद हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान धार्मिक कार्य होते हैं. खरमास में तुलसी में जल चढ़ाना और शाम को दीपक जलाने से दोषों से मुक्ति मिलता है. ऐसी मान्यता है कि खरमास में ग्रहों के अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं.  तुलसी की पूजा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और जीवन में बुरा प्रभाव कम होता है और खुशहाली आती है.


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तुलसी पूजा में नहीं करें ये गलतियां
खरमास के महीने में जिस दिन एकादशी, मंगलवार और रविवार पड़ रहा हो तो उस दिन तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़े. इसके साथ ही इस दिन तुलसी को जल अर्पण भी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पर माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है. ध्यान रखें कि खरमास के दौरान तुलसी में सिंदूर भी न चढ़ाए.


कब से कब तक खरमास 2023
15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और उसके बाद खरमास समाप्‍त होगा. और सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे खरमास के दौरान दान-पुष्य का महत्व बताया गया है. दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इन दिनों जरूरतमंद लोगों, साधु जनों और दुखियों की सेवा और मदद करें. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.


खरमास में क्‍यों नहीं होते मांगलिक कार्य
ज्‍योतिष के जानकारों के अनुसार, सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो वह अपने गुरु की सेवा में लग जाते हैं और उनका प्रभाव कम हो जाता है.  यही वजह है कि इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है.  यह भी माना जाता है कि खरमास के दौरान गुरु का बल भी कमजोर होता है और मांगलिक कार्य के समय सूर्य और गुरु दोनों का ही शुभ स्थिति में होना जरूरी है. इस वजह से खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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