Nag Panchami 2023: सनातन धर्म में नागपंचमी के दिन नाग देवता को दूध पिलाने की प्रथा है...मगर विज्ञान कहता है कि दूध सांप के लिए जानलेवा हो सकता है...इतना ही नहीं सपेरे के बीन की धुन पर सांप का नाचना भी एक भ्रांति ही बताया गया है...
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Nag Panchami 2023: सावन शुरू होने के साथ ही एक ओर जहां भगवान शिव की भक्त पूजा अर्चना करते हैं तो शिवरात्रि के दिन बाबा के गले में आभूषण की तरह हमेशा विराजमान सांप की पूजा भी उसी भाव से करते हैं. नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की रीति भारत में पुरातन काल से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागदेवता की पूजा करने से सर्प भय से छुटकारा मिलता है. हिंदू धर्म में नाग पंचमी वाले दिन घरों में सांपों को दूध पिलाने की परंपरा निभाई जाती है, लेकिन जंतु विज्ञानियों के मुताबिक सांप दूध नहीं पीते हैं. सांपों को दूध पिलाना उनके लिए बेहद खतरनाक साबित भी हो सकता है.
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सावन में वैसे दो नाग पंचमी की तिथि आती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष की. अब शुक्ल पक्ष की नागपंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 को है. नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. इससे जुड़े कुछ तथ्य हैं जो आपको जानना चाहिए. जिन नाग की पूजा की जाती है उनके नाम वासुकि, अनंत, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख है.
पाचन तंत्र के लिए नहीं बना SNAKE
जंतु विज्ञानियों के मुताबिक सांप का पाचन तंत्र दूध के लिए नहीं बना है. सांप में ऐसे एंजाइम नहीं पाए जाते जो दूध को पचा सकें. जिसके कारण दूध से उसके शरीर में इन्फेक्शन फैलता है, जो जानलेवा हो सकता है. जी हां, वैज्ञानिक बताते हैं कि कई बार यह दूध उनके फेफड़ों तक पहुंच जाता है जिससे उनकी जान तक चली जाती है.
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नागों को दूध पिलाने के लिए भ्रांतियां
सांपो को लेकर हमारे समाज में कई तरह के अन्धविश्वास और भ्रांतियां फैली हुई हैं. हमारे धर्म ग्रंथ, हमारा साहित्य और फिल्में इनको कम करने की जगह बढ़ावा देते हैं.लेकिन क्या सच में सांप दूध पीते हैं या क्या है इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं? ऐसा कहा जाता है कि सांप दूध पीते हैं. लेकिन इसके कुछ सुन-अनसुने पहलू भी हैं. नागपंचमी के मौके पर जानें क्या नाग दूध पीते हैं, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य.
सदियों से चली आ रही है परंपरा
नागपंचमी के दिन सापों को दूध पिलाने की परंपरा सालों से चलती आ रही है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक सावन के महीने में नाग देवता की पूजा करने और नाग पंचमी के दिन दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और नागदंश का भय नहीं रहता है. प्राचीन भविष्य पुराण के पंचमी कल्प में नागपूजा और नागों को दूध पिलाने का जिक्र किया गया है.
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नहीं लेते सांप कभी बदला
हिंदी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में और चित्र हैं जिनमें दिखाया गया है कि सांप अपने साथी की मौत का बदला लेता है. हालांकि, यह सिर्फ एक अंधविश्वास है. विज्ञान की मानें तो सांप अल्पबुद्धि के जीव होते हैं. इनको कुछ भी याद नहीं रहता. ये सब मिथ्या है.
बीन की धुन पर नाचते हैं सांप ?
इसी तरह बीन बजाने पर सांप का नाचना भी भ्रांति ही बताया गया है. बता दें कि सांप के बाहरी कान नहीं होते. सांप केवल जमीन से आती तरंगों को फील करते हैं. सपेरे के हाथों और बीन के इशारे पर वह इधर-उधर हिलते हैं, जिसे लोग बीन पर सांप का नाचना मान लेते हैं.
सचमुच दूध पीते हैं सांप?
जीव विज्ञानियों की मानें तो सांप पूरी तरह से मांसाहारी जीव होता है. सांप द्वारा दूध पीने की मान्यता पूरी तरह से गलत है. सांप, पक्षियों के अंड़े और छोटे-छोटे जीव-जंतु को अपना शिकार करता है.
सांपों की हो जाती है मौत
जीव विज्ञान के अनुसार भूलकर भी सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए. नागपंचमी पर कुछ लोग नागों को दूध पिलाते हैं, ऐसा करके वो उनके साथ अत्याचार करते हैं. जिसके कारण कुछ सांपों की असमय मौत हो जाती है. दूध इनका प्राकृति आहार नहीं है.सपेरों को जब भी सांप को दूध पिलाना होता है वो उन्हें भूखा-प्यासा रखते है.भूखे प्यासे सांप के सामने जब दूध लाया जाता है तो वो इसे पी लेता है. लेकिन ये कभी कभी सांप की मौत का कारण भी बन जाता है. कई बार दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है जिससे उसे निमोनिया हो जाता है. जिससे उसकी मौत हो जाती है.
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