Parikrama: सनातन धर्म में देवी देवताओं की पूजा पाठ के साथ साथ परिक्रमा का विशेष महत्त्व है. इससे भगवान खुश होकर मनवांछित फल देते हैं. बहुत से लोग परिक्रमा को फेरी लगाना भी कहते हैं. धार्मिक स्थल की यात्रा तब पूरी मानी जाती है जब वहां जाकर परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहते हैं.  बाएं हाथ की ओर से परिक्रमा शुरू करने पर परिक्रमा का लाभ नहीं मिल पाता है. बहुत से लोग जानकारी न होने पर गलत ढंग से परिक्रमा करते हैं. अलग अलग देवी देवताओं की परिक्रमा की संख्या भी अलग अलग है. आगे विस्तार से पढ़ें. 


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सनातन धर्म में परिक्रमा, पूजा का अभिन्न हिस्सा है. केवल मूर्तियों की ही नहीं बल्कि अग्नि, पेड़ गर्भगृह, और नदियों की भी परिक्रमा की जाती है. कुछ मंदिरों में तो परिक्रमा पथ भी बनाए जाते हैं. परिक्रमा करने के पीछे धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं. मंदिर में अलग अलग धातुएं हमें अलग तरह की ऊर्जा देती हैं. तांबे के छत्र और पाट रखने के पीछे भी यही कारण होता था कि तांबा बिजली और चुंबकीय तरंगों को अवशोषित करता है. मंदिर में परिक्रमा  वह क्रिया है जिससे हम सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और मन को बेहद सुकून मिलता है.  


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परिक्रमा से जुड़े जरूरी नियम 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की मूर्ति और मंदिर की परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए क्योंकि मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है. इसलिए परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है. गलत दिशा की ओर परिक्रमा का नकारत्मक असर होता है और पुण्य घट जाते हैं. दंडवत परिक्रमा करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है. परिक्रमा शुरू करने के बाद उसे किसी भी हाल में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए और जहां से प्रारंभ की है, वहीं परिक्रमा खत्म करनी चाहिए. इस दौरान एक विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए परिक्रमा के समय किसी से बात नहीं करनी चाहिए और भगवान का ध्यान करना चाहिए.


विभिन्न देवताओं की परिक्रमा संख्या 
भगवान शिव की हमेशा आधी परिक्रमा की जाती है. शंकर जी को चढ़ाए जाने वाले जल या दूध की धारा जहां से बहती हो उसे सोम सूत्र कहते हैं, इसे कभी भी लांघना नहीं चाहिए. मां दुर्गा की परिक्रमा एक बार और सूर्य देव की परिक्रमा सात बार करनी चाहिए. भगवान गणेश जी की परिक्रमा तीन बार और श्रीहरि विष्णु की चार बार परिक्रमा करनी चाहिए. इस दौरान जिस देवता की परिक्रमा कर रहे हैं उनके मंत्र और नाम जाप करते रहना चाहिए.


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