Opal Stone Benefits: जीवन को सुख सुविधाओं से भर देगा ओपल रत्न, जानें इसे धारण करने के नियम व महत्व
Opal Gemstone: ज्योतिष शास्त्र अनुसार ओपल रत्न का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं ओपल रत्न को धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि...
Opal Gemstone Benefits: रत्न शास्त्र में 9 तरह के प्रमुख रत्न के बारे में बताया गया है. जिन पर अलग अलग ग्रहों का आधिपत्य बताया गया है. जिनको धारण कर जातक अपने जीवन की कई परेशानियों को दूर कर सकता है और ग्रहों की शुभता पा सकता है. आज बात करेंगे ओपल रत्न की जो पति- पत्नी के बीच की खटास को दूर तो करता ही है इसके साथ ही यह जातक को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति करवाता है. ओपल रत्न शुक्र ग्रह से जुड़ा है जो कि कि दांपत्य जीवन, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण व भौतिक सुख-सुविधाओं का ग्रह माना गया है. ओपल रत्न धारण करने के आइए लाभ और पहनने की विधि जान लेते हैं.
कौन कर सकते हैं धारण
तुला व वृष राशि के लोगों लिए ओपल बेहद शुभ माना गया है.
तुला राशि के जातक जीवन रत्न के रूप में ओपल को पहन कर सकते हैं.
कुंडली का विश्लेषण कर मकर, कुंभ, मिथुन व कन्या राशि के जातक भी ओपल को धारण कर सकते हैं.
अगर शुक्र ग्रह नवांश कुंडली में कमजोर यानी कम डिग्री में बैठे हों तो ओपल पहना जा सकता हैं.
जन्मकुंडली के प्रथम, दूसरे, सातवें, नौवें या दसवें भाव में शुक्र हो तो ओपल पहना जा सकता है.
शुक्र ग्रह के चंद्रमा, सूर्य व गुरु ग्रह शुक्र ग्रह के शत्रु ग्रह माने जाते हैं. माणिक्य, मोती व पुखराज के साथ ओपल न पहनें.
ओपल को पन्ना व नीलम के साथ धारण किया जा सकता हैं, शनि देव व शुक्र ग्रह मित्रता भाव में होते हैं.
ओपल पहनने के लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ओपल रत्न को पहनने के की लाभ हैं जैसे कि-
ओपल रत्न को धारण करने से वैवाहिक जीवन या प्रेम संबंध में आने वाली खटास दूर होती है
ओपल रत्न को धारण करने से जातक के व्यक्तित्व में निखार आता है.
ओपल रत्न को धारण करने से उन जातकों को लाभ होता है जो संगीत, अभिनेता, अभिनेत्री, चित्रकला, नृत्य, टीवी, फिल्म, थिएटर, कम्पूटर के काम में हैं.
ओपल धारण करने की विधि और नियम
ज्योतिष शास्त्र अनुसार ओपल को पहनने का एक नियम है जिसे जरूर पालन करना चाहिए. शुक्ल पक्ष का शुक्रवार दिन इसे धारण करने के लिए शुभ होता है. दाएं हाथ की अनामिका अंगुली में ओपल रत्न धारण करें लेकिन इससे पहले रत्न जड़ित अंगूठी को गंगाजल व गाय के कच्चे दूध से शुद्ध कर लें और इसे सफेद कपड़े के ऊपर रख दें. शुक्र के मंत्र की एक माला जाप करें और अंगूठी पहन लें. मंत्र है- ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: . इसके बाद ब्राह्मण को शुक्र ग्रह से जुड़े दान देकर चरण स्पर्श करें.