मथुरा-वृंदावन के अलावा भी यूपी समेत देश के कई मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव देखने को मिलता है. जहां पर लोग दूर-दूर से कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने आते हैं. अगर आप भी इस जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होना चाहते हैं तो इन जगहों पर अपने परिवार के साथ जरूर जाएं. इन जगहों का इतिहास भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है.
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा (Mathura) की जन्माष्टमी बहुत ही खास होती है. यहां दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है. यूपी के यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान कहा जाता है. बालगोपाल का जन्म मथुरा में ही हुआ था. यहां भगवान श्री कृष्ण के बहुत से मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों में कृष्ण के जन्म के समय एक साथ पूजा होती है. पारंपरिक शंख, मंदिर की घंटियों और मंत्रभजनों की ध्वनि की गूंज सुनाई देती है.इन मंदिरों को एकदम दुल्हन की तरह सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों का तांता लगता है. यहां बांके बिहारी, द्वारकाधीश, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं. आप यहां पर कान्हा जी के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं.
प्रयागराज से 60 किलोमीटर दूर मानगढ़ में भक्ति मंदिर स्थित है. यहां देश भर से लोग जन्माष्टमी पर पहुंचते हैं. जन्माष्टमी पर आकर्षक झांकी निकाली जाती है. यहां पर रोज हजारों की संख्या में भक्त हाजिरी लगाते हैं. यहां पर आपको माहौल बिलकुल मथुरा-वृंदावन जैसा मिलेगा. मानगढ़ के भक्ति मंदिर में ही प्रेम मंदिर भी है. यहां पर वृंदावन की तरह हीरोज शाम को झांकी निकलती है.
धर्म नगरी मथुरा से लगभग 14 से 15 किलोमीटर दूरी पर वृंदावन है. मथुरा में कान्हा जी का जन्म हुआ और श्री कृष्ण वृंदावन में पले बढ़े थे. धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण यहां बड़े हुए. गोपियों के साथ रासलीला की, राधा रानी से प्रेम किया. यहां का जन्मोत्सव काभी भव्य तरीके से मनाया जाता है. ये जगह भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के लिए जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी वृंदावन की महिमा का वर्णन किया गया है.वृंदावन में गोविंद देव मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. राधारमण मंदिर ,निधि वन, रंगनाथजी मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहां से सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से हैं. इस जन्माष्टमी पर आप यहां जा सकते हैं.
मथुरा से करीब 25 किलोमीटर दूर गोकुल बसा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद यमुना नदी पार करके वासुदेव भगवान श्री कृष्ण को नंद बाबा के घर के यहां छोड़ कर गए थे. यह स्थान भी श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ा है. यहां की जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है. इस जन्माष्टमी पर यहां आप राधा रमन मंदिर और राधा दामोदर मंदिर में दर्शन कर सकते हैं.
द्वारका का भी बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है. द्वारका वर्तमान में गुजरात में है. द्वारका (Dwarka) की पहचान कृष्ण के राज्य के रूप में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि मथुरा छोड़ने के बाद करीब पांच हजार सालों तक कृष्ण यहीं पर रहे और राजकाज किया. पौराणिक कथाओं की मानें तो यह स्थान श्री कृष्ण के भाई बलराम ने बनाया था. यहां की जन्माष्टमी सबसे खास मानी जाती है. यहां जन्मोत्सव के समय शहर के सभी हिस्सों में दिव्य और अलौकिक मंगला आरती की जाती है.
जगन्नाथ मंदिर भारत का सबसे पवित्र चार धाम मंदिरों में से एक है. जन्माष्टमी के दिन यहां पर काफी भव्य महोत्सव होता है. यह पुरी में स्थित है. यहां पर भगवान जगन्नाथ की बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं. जगन्नाथ मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित हैं. जन्माष्टमी पर यहां देश विदेश से लोग आते हैं. कान्हा के मंदिर के दर्शन कर आप जरूर आनंदित महसूस करेंगे.
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