Karwa Chauth Katha: अपने पति की लंबी आयु और सलामती के लिए हिंदू धर्म में महिलाएं करवा चौथ का व्रत देवी करवा की पूजा करती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी करवा के सतीत्व में इतनी शक्ति थी कि उन्होंने एक कच्चे धागे से अपने पति के प्राण बचा लिये थे और इस धागे को यमराज भी नहीं तोड़ पाए थे. क्या कहानी आइये जानते हैं.
वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का रिश्ता बेहद नाजुक होता है, जो प्रेम और विश्वास से ही मजबूत बनता है. यह संबंध इतना गहरा हो सकता है कि कोई भी ताकत, यहां तक कि यमराज भी इसे तोड़ नहीं सकते, अगर इसमें सच्चाई और समर्पण हो.
करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी करवा ने अपने पति को एक मगरमच्छ से बचाया था. जब मगरमच्छ ने उनके पति को नदी में खींच लिया, तब करवा ने अपने सतीत्व के बल पर एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को बांध दिया और यमराज से अपने पति के जीवन की रक्षा की प्रार्थना की.
करवा की प्रार्थना पर यमराज प्रकट तो करवा ने यमराज से कहा कि मगरमच्छ को मृत्युदंड देकर मेरे पति के प्राण बख्श दो. लेकिन यमराज ने देवी करवा की प्रार्थना अस्वीकार कर दी.
यमराज ने देवी करवा से कहा कि मगरमच्छ के प्राण अभी शेष हैं जबकि तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है. इस पर देवी करवा ने क्रोधित होते हुए यमराज से कहा कि अगर आपने मेरे पति के प्राण नहीं बख्शे तो तो मैं आपको श्राप दे दूंगी.
करवा के सतीत्व और साहस के आगे यमराज झुक गए और उन्होंने मगरमच्छ को यमलोक भेजा और करवा के पति को जीवनदान दिया. इसी कारण करवा चौथ पर महिलाएं करवा माता से अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती हैं.
करवा की कथा यह सिखाती है कि प्रेम और विश्वास का धागा भले ही कच्चा हो, लेकिन जब उसमें सच्चाई और समर्पण होता है, तो वह अटूट बन जाता है. यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते में इसी प्रेम और विश्वास को दर्शाता है.
सावित्री ने भी अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाने के लिए अपने प्रेम और समर्पण का परिचय दिया था. उसने अपने पति को वट वृक्ष के नीचे एक कच्चे धागे से बांध रखा और यमराज को मजबूर किया कि वे उसके पति के प्राण लौटाएं.
सावित्री के सतीत्व के कारण यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े और उन्हें वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा अटल रहेगा. यह कहानी भी करवा चौथ के महत्व को दर्शाती है कि जो महिलाएं अपने पति से अटूट प्रेम करती हैं उनके पति के प्राण हरना यमराज के लिए भी आसान नहीं होता.
करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है. महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि उनके सुहाग की रक्षा हो और उनका दांपत्य जीवन हमेशा खुशहाल बना रहे.
सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और रिश्ते की सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. यह दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और भी मजबूत बनाने का अवसर होता है. इस वर्ष करवा चौथ का पर्व 20 अक्टूबर रविवार के दिन है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.