Pitru Paksha 2023: पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक चलने वाले पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध कर्म से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से शुरू हो रही है जो 14 अक्टूबर तक होगा. इस दौरान पितरों को जल देने की परंपरा है.
हरिद्वार भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है. हरिद्वार के नारायणी शिला पर तर्पण करने से पितरों की को मोक्ष मिलता है, पुराणों में भी इसका वर्णन किया गया है. परिवार पर पुरखों का आशीर्वाद बना रहता है.
श्रीकृष्ण नगरी मथुरा में भी मृत पूर्वजों का पिंडदान कर सकते हैं. ये एक पवित्र तीर्थ शहर है और पिंड दान समारोहों के लिए पसंदीदा स्थानों में से एक भी है. इस तरह के अनुष्ठान यमुना नदी के तट पर स्थित बोधिनी तीर्थ, विश्रंती तीर्थ और वायु तीर्थ पर आयोजित किए जाते हैं. मथुरा में तर्पण कर लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं.
मध्य प्रदेश में उज्जैन मंदिरों शहर भी पिंड दान के लिए एक आदर्श जगह है. यहां लोग देश के कोने-कोने से शिप्रा नदी के तट पर पिंडदान के लिए आते हैं.
पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए प्रयागराज में स्थित त्रिवेणी संगम नदी भी बहुत पवित्र मानी जाती है. मृत्यु के बाद एक आत्मा को जिन कष्टों से गुजरना पड़ता है, वो सभी कष्ट यहां पिंडदान करने से दूर हो जाते हैं. यहां के जल में स्नान करने मात्र से पाप धुल जाते हैं और आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है.
राम जन्मभूमि भी एक तीर्थ स्थान है और पिंड दान समारोहों के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है. पवित्र सरयू नदी के तट पर भात कुंड है जहां लोग हिंदू ब्राह्मण पुजारी की अध्यक्षता में अनुष्ठान करने के अपने दायित्व को पूरा करते हैं. एक प्रथा के रूप में, लोग अपने पूर्वजों के लिए यहां हवन भी करवाते हैं.
पितरों के श्राद्ध औऱ पिंडदान के लिए लोग यूपी के वाराणसी शहर में जाते हैं. काशी की गंगा नदी पर लोग अपने मृत पूर्वजों का पिंडदान करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो यहां अपने पितरों का पिंडदान करते हैं उनके मृत पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.
पिंडदान के लिए बिहार में गया एक और महत्वपूर्ण स्थान है. समारोह आमतौर पर फाल्गु नदी के तट पर आयोजित किया जाता है जिसे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है. पितृ पक्ष के दौरान देश के कोने-कोने से लोग बोधगया में पिंडदान करने पहुंचते हैं. माना जाता है कि गया अपनी कथित शुद्धिकरण शक्तियों के लिए श्राद्ध करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है.
उड़ीसा राज्य में बंगाल की खाड़ी के समुद्र तट पर स्थित पुरी महानदी और भार्गवी नदी के तट पर स्थित है. इसलिए, संगम को पवित्र और पिंड दान समारोह का आदर्श स्थान माना जाता है. जगन्नाथ पुरी प्रमुख चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है. अत: सभी कोणों से यहाँ किया गया पिंडदान परिवार के सदस्यों को पुण्य और आत्मा को शांति प्रदान करता है.
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.