सर्वपितृ अमावस्या: श्राद्ध कर्म में भूलकर भी न करें गलती, पितृ हो जाते हैं नाराज, दान-पुण्य भी नहीं आता काम
हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अश्विन मास तक पितृ पक्ष रहते हैं. मन, कर्म और वचन पर संयम रखते हुए इस दौरान पिंडदन, तर्पण और दानपुण्य किया जाता है ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके.
पिंडदान का महत्व
पितृपक्ष में अपने पितरों का पिंडदान करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह समय भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा और तर्पण करते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन पिंडदान किया जा सकता है. यह दिन उन पितरों के लिए महत्वपूर्ण है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती और इस दिन उन्हें पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूब 2024 को है.
पितृ दोष से बचने के उपाय
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष कार्यों से बचना चाहिए ताकि पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सके. इनमें नई वस्तु खरीदने से परहेज, बाल और नाखून न कटवाना शामिल है, ताकि आप पितृ दोष के गंभीर परिणामों से बच सकें.
सात्विक भोजन का पालन
पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से सर्वपितृ अमावस्या के दिन मांस, मछली, अंडा या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिये. इस दिन सात्विक और साधारण भोजन का पालन करना श्रेयस्कर होता है, जिससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है.
नकारात्मक शक्तियों से बचें
मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय हो जाती है, इसलिए श्मशान या कब्रिस्तान जैसी जगहों से रात के समय नहीं गुजरना चाहिए. बुरी शक्तियां आपको प्रभावित कर सकती हैं.
दान का महत्व
इस समय में दान देना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. अगर कोई व्यक्ति घर पर दान लेने आता है, तो उसे खाली हाथ विदा न करें. ऐसा करने से पितृदोष के भयंकर परिणाम हो सकते हैं, इसलिए जरूरतमंदों की मदद करें.
पशु-पक्षी की देखभाल
पितृपक्ष के समय पशु-पक्षियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कौवे, कुत्ते और चींटियों को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाएं, क्योंकि इन्हें पितरों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. इनका संरक्षण और सेवा करना शुभ माना जाता है.
गरीब और असहाय लोगों का सम्मान
पितृपक्ष में किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति का अपमान न करें. उनकी मदद और आदर करना पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने का माध्यम है. यह समय सेवा और सम्मान को बढ़ावा देने का है.
पिंडदान की विधि
यदि आपके पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात है तो उस दिन पिंडदान करें. अन्यथा, सर्वपितृ अमावस्या के दिन पिंडदान करना श्रेयस्कर होता है. इस दिन पिंडदान करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है.
Disclaimer
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.