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क्यों घट रहा है गोवर्धन पर्वत का आकार, कैसे होगी मथुरा वृंदावन में पूजा

Govardhan Puja 2024: भगवान श्री कृष्ण से जुड़े मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत का आकार साल दर साल घटता जा रहा है, इसके कुछ वैज्ञानिक कारण ही नहीं बल्कि श्राप भी है, जिसका वर्णन पौराणिक कथाओं में मिलता है.

गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व

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गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में गोवर्धन पर्वत का बहुत महत्व है, विशेषकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में इसका काफी वर्णन मिलता है. श्रीमद्भागवत और विष्णु पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में इस पर्वत के बारे में काफी कुछ बताया गया है. 

गोवर्धन लीला का स्मरण

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गोवर्धन लीला का स्मरण

गोवर्धन पर्वत का सबसे प्रमुख प्रसंग तब का है जब भगवान कृष्ण ने इसे अपनी छोटी उंगली पर उठाकर वृंदावनवासियों को इंद्रदेव के कोप से बचाया था. इसे गोवर्धन लीला कहा जाता है और इस घटना की स्मृति में गोवर्धन पूजा की जाती है.

श्राप से जुड़ी पौराणिक कथा

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श्राप से जुड़ी पौराणिक कथा

कथाओं के अनुसार, गोवर्धन पर्वत को घटते रहने का श्राप पुलस्त्य ऋषि ने दिया था. माना जाता है कि जब गोवर्धन ने ऋषि के काशी चलने के अनुरोध को अस्वीकार किया, तो क्रोधित होकर ऋषि ने उसे प्रतिदिन एक तिल के बराबर घटने का श्राप दिया.

श्राप का प्रतीकात्मक महत्व

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श्राप का प्रतीकात्मक महत्व

भक्तों के लिए यह श्राप एक विशेष प्रतीक है, जो ऋषि-मुनियों के प्रभाव और भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं की याद दिलाता है. यह पर्वत उनके लिए एक धार्मिक धरोहर और भक्ति का प्रतीक है.

आकार घटने का वैज्ञानिक तर्क

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आकार घटने का वैज्ञानिक तर्क

विज्ञान के अनुसार गोवर्धन पर्वत के आकार में कमी का कारण प्राकृतिक है. जलवायु परिवर्तन, कटाव, और भूगर्भीय गतिविधियां पर्वत के आकार को घटा सकती हैं, जो धार्मिक मान्यताओं से परे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं.

जलवायु और भूगर्भीय प्रभाव

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जलवायु और भूगर्भीय प्रभाव

क्षेत्र की बदलती जलवायु, मानसून की वर्षा, और भू-आंदोलनों के कारण कटाव से भी पर्वत का आकार घट सकता हैय यह प्राकृतिक प्रक्रियाएं इसकी स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं.

अध्यात्म और विज्ञान का मेल

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अध्यात्म और विज्ञान का मेल

गोवर्धन पर्वत की कथा धर्म और विज्ञान का अनोखा मेल दिखाती है. भक्तों के लिए यह धार्मिक आस्था का केंद्र है, जबकि वैज्ञानिकों के लिए इसे भूगर्भीय दृष्टि से समझना महत्वपूर्ण है.

क्या भविष्य में रहेगा गोवर्धन पर्वत?

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क्या भविष्य में रहेगा गोवर्धन पर्वत?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वत का आकार धीरे-धीरे घटते-घटते एक दिन पूरी तरह समाप्त हो सकता है. यह विचार भक्तों के लिए चिंता का विषय है, परंतु यह भविष्य का रहस्य बना हुआ है.

 

भक्ति और श्रद्धा का केन्द्र

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भक्ति और श्रद्धा का केन्द्र

आज भी गोवर्धन पर्वत को श्रद्धालु बड़ी भक्ति से पूजते हैं, और इसके आकार में कमी के बावजूद इसे भगवान कृष्ण के आशीर्वाद और दिव्य शक्ति का प्रतीक मानते हैं.

Disclaimer

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.