रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है. रुद्राक्ष यानी भगवान शिव के अश्रु. मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसु से हुई, यही कारण है कि इसे अति पवित्र माना जाता है. रुद्राक्ष को धारण करने के अनेक लाभ हैं. इससे संबंधित कुछ नियमों को जान लेना अति आवश्यक है और सावन में किस मुहुर्त में इसे धारण करें ये भी जान लेना होगा.


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रुद्राक्ष धारण करने से मन को शांति मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है. नियम है कि रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मकता जीवन से दूर होती है. मन में बुरे विचार प्रवेश नहीं करते हैं. रुद्राक्ष हानिकारक ग्रहों का प्रभाव कम कर देता है. व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा व अच्छे भाग्य का पूरा साथ मिलता रहता है.


धारण करने से पहले करें ये काम
रुद्राक्ष धारण करने से पहले व्यक्ति को अवश्य ही इसे पंचामृत और गंगाजल से धोकर शुद्ध करना चाहिए. साफ कपड़े से पोछें और रुद्राक्ष पर तिलक लगाएं. इसके बाद इसे धूप दिखाएं और फिर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करते हुए इसे रुद्राक्ष धारण करें. रुद्राक्ष धारण करने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल है. इस दौरान वातावरण शुद्ध होता और माहौल भी शांत होता है. रुद्राक्ष की ऊर्जा को आसानी से शरीर में अवशोषित हो पाती है. 


विशेष बातों को ध्यान में रखें
रुद्राक्ष को अति पवित्र माना गया है. कभी भी अशुद्ध हाथों से इसे नहीं छूना चाहिए. 
रुद्राक्ष को हमेशा विषम संख्या में ही धारण करना चाहिए. 
रुद्राक्ष की माला में 27 से कम रुद्राक्ष न हो, ध्याम रखें. कम होने पर शिव दोष लगता है. 
रुद्राक्ष पहनने वाले मांसाहार और मांस-मदिरा का सेवन नहीं कर सकते हैं. 


डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है.


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