Bhagwan Shanker Third Eye : सावन का पवित्र महीना चल रहा है. धार्मिक मान्‍यता है कि पूरे सावन में भगवान शिव की पूजा की जाती है. भगवान भोलेनाथ सावन में हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. भगवान शिव की लीला भी अद्भुत है. इतना ही नहीं भगवान शिव के नाम भी निराले हैं. भगवान शिव की वेशभूषा, वाहन आदि को लेकर तरह-तरह की कहानियां हैं. उन्‍हीं में से एक है भगवान शिव की तीसरी आंख की कहानी. तो आइये जानते हैं भगवान शिव की तीसरी आंख की कहानी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी है मान्‍यता  
यूं तो भगवान शिव दयालु व करुणा के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कई बार शिव को रौद्र रूप में भी देखा गया है. इसलिए शिव का एक नाम रुद्र भी है. सभी जानते हैं कि भगवान शिव की तीन आंखें होती हैं और जब महादेव अत्यंत क्रोध में होते हैं तब ये तीसरी आंख खुलती हैं. भगवान शिव की तीसरी आंख क्रोध या रौद्र रूप का प्रतीक है. 


दो आंखों की कहानी 
भगवान शिव की दो आंखें भौतिक जगत में उनकी सक्रियता का परिचायक हैं और तीसरी आंख सामान्य से परे की सूचक है. यह आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है. अग्नि की तरह ही भगवान शिव की तीसरी आंख पापियों को कहीं से भी खोज निकाल कर उन्हें नष्ट कर देती है. यही कारण है कि दुष्ट आत्माएं उनकी तीसरी आंख से भयभीत रहती हैं. 


कब खुलती है तीसरी आंख 
माना जाता है कि जब भगवान शिव की तीसरी आंख खुलती है तो एक नए युग का सूत्रपात होता है. तीसरी आंख यह भी संकेत करती है कि सारे जगत की क्रिया न तो आदि है और न ही अंत, यह तो अनंत है. मान्यता है कि सृष्टि को बचाने के लिए महादेव ने सबसे पहले अपनी तीसरी आंख खोली थी. पौराणिक कथाओं में भगवान के त्रिनेत्र के रहस्यों के बारे में बताया गया है.