Dhanteras 2023 : हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. इस बार धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जा रहा है. धनतेरस पर ही भगवान धन्‍वंतरि जी की जयंती भी मनाई जाती है. तो आइये जानते हैं क्‍यों मनाया जाता है धनतेरस?. 


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पूजन और हवन 
हिन्‍दू पंचांग के मुताबिक, मध्यान्ह 13:14 बजे से 14:42 बजे तक आयुर्वेद के जन्मदाता धनवंतरी जी के पूजन और हवन के के लिए उत्तम मुहुर्त है. आयुर्वेद के मानने वाले भगवान धन्‍वंतरि की पूजा और हवन कर सकते हैं. वहीं, शाम को प्रदोष काल, गोधूलि वेला और स्थिर लग्न 17:43 बजे से 19:39 बजे तक धनतेरस का पूजन का शुभ मुहूर्त है. इस अवधि में बर्तन, ज्वेलरी, वस्त्र, घरेलू उपयोग की वस्तुएं खरीदें. इससे घर और परिवार में सुख समृद्धि आएगी. 


यह है मान्‍यता 
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है. धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन खरदना कुबेर यंत्र के बराबर होता है. इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है. इस दिन साबुत धनिया घर लाने की परंपरा भी है. 


यह भी मान्‍यता 
धनतेरस के दिन जो भी चीजें खरीदी जाती हैं उनकी दिवाली की रात को पूजा की जाती है. सोने और चांदी के जो सिक्के धनतेरस के दिन खरीदे जाते हैं उनकी भी पूजा की जाती है. इसी के साथ दिवाली के दिन सिक्कों से जुड़े कुछ उपाय भी किए जाते हैं ताकि आर्थिक स्थिति ठीक की जा सके और धन और कारोबार में तेजी से वृद्धि आ सके. 


करें ये उपाय 
घर में स्थाई रूप से धन की वृद्धि चाहिए तो दिवाली की रात को लक्ष्मी पूजा करते समय एक कटोरी लें और चावल से उसे आधा भर दें. अब धनतेरस के दिन खरीदे गए सिक्के को इन चावलों पर रखें और कटोरी को ढंक दें. लक्ष्मी जी के आगे जलाए गए घी के दीए को चावल वाली कटोरी के ऊपर रख दें. इसे भी किसी चीज से ढंक दे. थोड़ी देर में दीपक बुझ जाएंगे. इस कटोरी को इसी तरह रहने दें और भईया दूज के दिन ही इसे खोलें. भईया दूज के दिन उसमें से सिक्का निकालें और तिजोरी में रख दें. चावलों को भी लाल रंग के कपड़े में बांधें और अच्छे से तिजोरी में रख दें. सालभर आपके घर और बिजनेस में आर्थिक स्थिति खराब नहीं होगी.


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