Weekly Vrat Festivals List: 23 सितंबर से शुरू हो रहे इस सप्ताह पितृ पक्ष के श्राद्ध के अलावा कालाष्टमी, मासिक प्रदोष व्रत समेत कई महत्वपूर्ण पर्व हैं. आइये विस्तार से आपको बताते हैं, 23 सितंबर से 29 सितंबर के बीच ऐसे कौन-से व्रत-त्योहार और पर्व पड़ रहे हैं जिनका हिंदू धर्म में बहुत महत्व बताया गया है. इसके साथ आपको बताएंगे इन त्योहारों के महत्व और पूजा-अर्चना के बारे में जिससे आपको सर्वाधिक फल की प्राप्ति हो सके. 


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23 से 29 सितंबर के बीच व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट
(Vrat and Festival List from 23 to 29 September 2024)


मासिक कालाष्टमी (24 सितंबर 2024, मंगलवार)
कालाष्टमी भगवान काल भैरव की पूजा का विशेष दिन है. इस दिन भक्त रात्रि के समय काल भैरव की पूजा करते हैं, जिससे कष्टों का निवारण होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. शुभ मुहूर्त रात्री काल का समय होता है, और इस दिन उपवास रखने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.


अश्विन कृष्ण नवमी (25 सितंबर 2024, बुधवार)
अश्विन मास की कृष्ण नवमी तिथि पर धार्मिक और पौराणिक कार्य किए जाते हैं. इस दिन व्रत रखने से संतान की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है. पूजा का शुभ समय प्रातः काल होता है.


नवमी श्राद्ध (25 सितंबर 2024, बुधवार)
नवमी श्राद्ध का महत्व विशेष रूप से उन पूर्वजों के लिए होता है जिनका निधन नवमी तिथि को हुआ हो. इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है. प्रातः काल में श्राद्ध कर्म करना शुभ माना जाता है.


जीवित्पुत्रिका व्रत (25 सितंबर 2024, बुधवार)
जीवित्पुत्रिका व्रत (जितिया) मुख्य रूप से संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है. इस व्रत में निर्जला उपवास रखा जाता है. व्रत की पूजा सूर्योदय के बाद की जाती है, जिसमें जितिया की पूजा होती है.


इंदिरा एकादशी (28 सितंबर 2024, शनिवार)
इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष फल मिलता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकालीन समय होता है.


द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध (29 सितंबर 2024, रविवार)
द्वादशी श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका देहांत द्वादशी तिथि पर हुआ हो. इस दिन भी पिंडदान और तर्पण की प्रक्रिया होती है. शुभ मुहूर्त प्रातःकाल से दोपहर तक होता है.


प्रदोष व्रत (29 सितंबर 2024, रविवार)
प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का दिन होता है. इस व्रत में शाम के समय सूर्यास्त के बाद शिव जी की पूजा की जाती है. इससे रोग, कष्ट और दरिद्रता का नाश होता है.


Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.