आरजेडी को कई गहरे घाव दे चुके हैं नीतीश कुमार, फिर भी लालू यादव का मन उनके लिए क्यों मचल उठता है?
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आरजेडी को कई गहरे घाव दे चुके हैं नीतीश कुमार, फिर भी लालू यादव का मन उनके लिए क्यों मचल उठता है?

Bihar Politics: बीते कुछ सालों में नीतीश कुमार ने लालू यादव को कई गहरे घाव दिए हैं, जो आज भी हरे हैं. नीतीश की दी चोटें भी ऐसी थीं जिसकी लालू ने उम्मीद भी नहीं की होगी. जंगलराज वाले पर्सनल अटैक से इतर उन्होंने उनके चारों बेटे-बेटियों को भी नहीं छोड़ा. इसके बावजूद उनका मन नीतीश के लिए क्यों मचल उठता है.

आरजेडी को कई गहरे घाव दे चुके हैं नीतीश कुमार, फिर भी लालू यादव का मन उनके लिए क्यों मचल उठता है?

Nitish Kumar News: बिहार की धरती ने देश को एक से बढ़कर एक सियासी सूरमा दिए हैं. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर कर्पूरी ठाकुर तक कई महान हस्तियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहे बिहार की पॉलिटिक्स हमेशा अलग रौ में दिखती है. कहा तो ये भी जाता है कि बिहारी अस्मिता के झंडाबरदारों में सबसे ज्यादा सस्पेंस ओढ़कर चलने वाला नेता अगर कोई है तो वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं. नीतीश कुमार का दाहिना हाथ कब और क्या फैसला लेने वाला है? ये उनके बाएं हाथ को भी नहीं पता होता. करिश्माई और रहस्यमयी छवि समेटने के साथ पलटूराम और पलटू चाचा जैसे सियासी बयानों का गरल पी चुके नीतीश कुमार को लालू यादव बार-बार क्यों याद करते हैं, उन्हें अपने पाले में बुलाना चाहते हैं. ऐसा क्यों? यह ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब या तो खुद लालू जानते होंगे या धर्मराज युधिष्ठिर.

लालू को याद आते हैं नीतीश

बीते चंद सालों में नीतीश कुमार ने लालू यादव को कई गहरे घाव दिए हैं, जो आज भी हरे हैं. नीतीश की दी चोटें भी ऐसी थीं जिसकी लालू ने उम्मीद भी नहीं की होगी. लालू-राबड़ी सरकार के दौरान जंगलराज वाले पर्सनल अटैक से इतर नीतीश कुमार ने उनके चारों बेटे-बेटियों को भी नहीं छोड़ा. इसके बावजूद उनका मन नीतीश के लिए बार-बार मचल उठता है. सियासी जानकार इसकी वजह अलग अलग बताते हैं. वैसे भी पॉलिटिक्स को कयासों और अटकालबाजी का दूसरा नाम कहा जाता है. इसलिए बिहार की पॉलिटिक्स में फिलहाल क्या चल रहा है, आइए जानने की कोशिश करते हैं.

पहली और सबसे सॉलिड थ्योरी की बात करें तो वो यह लगती है कि लालू यादव अपने जीते जी 'तेजस्वी' बेटे को ऐन केन प्रकारेण मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. इसके लिए जो कुछ दांव पेंच चले गए उनके बारे में आपको संक्षेप में बताते हैं.

2024 का लोकसभा चुनाव और इंडिया ब्लॉक का उदय

2024 के चुनावों का ऐलान होने के काफी पहले इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आ चुका था. विपक्ष के तमाम नेताओं की तरह लालू यादव ने भी नीतीश को इंडिया ब्लॉक का कंवीनर बनाने के लिए दमभर के ताकत लगा दी थी.  इसे लेकर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के शीर्ष नेताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक से लेकर आमने-सामने की बैठकें भी हुई थीं. इसके लिए बने विपक्षी दलों के इंडी अलायंस का संस्थापक होने के बवजूद उन्हें कई बार अपमानित होना पड़ा. तेजस्वी यादव के लिए सीएम पद छोड़ने का आरजेडी का दबाव अलग से बढ़ता जा रहा था.

तमाम दांवपेचों और रस्साकसी के बीच अचानक नीतीश कुमार उस जिम्मेदारी को संभालने से किनारा कर लेते हैं. जिसके बाद सियासी जानकारों ने ये कहा कि नीतीश कुमार भी रामबिलास पासवान की तरह मौसम वैज्ञानिक बन गए थे, जिन्होंने 2024 की चुनावी हवा का रुख भांपकर पाला बदल दिया. ये घटनाक्रम इंडिया ब्लॉक के नेताओं के गली में हड्डी बनकर फंस गया था  जो न निगलते बन रहा था और न उगलते. आखिर में इस एपिसोड का पटाक्षेप यह कहकर किया गया कि होनी को कुछ और ही मंजूर था.

नीतीश की चुप्पी टूटते ही टूट गई इंडी गठबंधन के नेताओं की उम्मीद

यानी बिहार में नीतीश कुमार के सहारे तेजस्वी को सेट करने की चाह लालू यादव की अधूरी रह गई है. वो उन्हें सुकून से जीने नहीं दे रही है. ऐसे में लालू ने नीतीश कुमार को जो ऑफर दिया था. अब उसपर जवाब आ चुका है. नीतीश कुमार भी अपनी चुप्पी तोड़ चुके हैं. नीतीश कुमार ने साफ-साफ और दो टूक कह दिया है कि वह अब इधर उधर नहीं जाएंगे. यानी दो बार गलती हो गई लेकिन तीसरी बार ऐसी गलती नहीं होगी.

और इसी के साथ नीतीश कुमार ने सिर्फ लालू यादव ही नहीं बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन की प्लानिंग पर पानी फेर दिया. जिस शिद्दत के साथ विपक्षी नेता बिहार की सत्ता में लालटेन जलाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे. वो नीतीश के सियासी तीर से चकनाचूर हो चुका है.

नीतीश कुमार ने NDA की बैठक में कहा- 'दो बार गलती से इधर-उधर का रास्ता चुना. लेकिन अब हम हमेशा साथ रहेंगे. बिहार के साथ-साथ देश का विकास करेंगे.'

नीतीश कुमार का ये बयान आते ही बीजेपी राशन पानी लेकर लालू यादव और तेजस्वी यादव पर चढ़ चुकी है.  बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा, 'लालू यादव डरे हुए हैं, जो डर गया वो मर गया. लालू यादव डरे हुए हैं, उनको लगता है कि मेरा बेटा कैसे स्थापित हो जाए. अब बिहार की जनता तय करेगी कि बिहार की सत्ता में कौन बैठेगा? यहां नीतीश कुमार बैठे हुए हैं. किसी और के लिए कोई जगह नहीं है.'

यानी कि एकदम साफ है कि नीतीश कुमार NDA के साथ हैं और अगला चुनाव भी वो NDA के साथ लड़ेंगे. ऐसे में जो उम्मीद RJD अबतक लगाई बैठी थी. उसपर नीतीश के बयान से तगड़ा झटका लगा है. और इसी के साथ एक बार फिर लालू की दुखती रग को नीतीश ने छूकर आरजेडी का पुराना दर्द उभार दिया है.

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