उदयपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को इशारों ही इशारों में राम मंदिर के निर्माण की बात कही. यहां के प्रताप गौरव केन्द्र में नवनिर्मित भक्तिधाम प्राणप्रतिष्ठा और जन समर्पण कार्यक्रम को संबोधित करते उन्‍होंने ये बात कही. भागवत ने यह बात संत मुरारी बापू के रामायण प्रसंग को लेकर दिए उदाहरण का जवाब देते हुए कही, जिसमें उन्होंने कहा कि राम का नाम लेने से नहीं राम का काम करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं.


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मोहन भागवत ने कहा, ''राम का काम करना है और वो होकर रहेगा. सबको मिलकर करना है राम का काम. राम हमारे अंदर रहते हैं. खुद का काम खुद करना पड़ता है. सौंप देते हैं किसी को फिर भी निगरानी रखनी पड़ती है.''


RSS के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हो सकते हैं रतन टाटा


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत और संत मुरारी बापू ने महाराणा प्रताप के शौर्य, वीरता, पराक्रम और बलिदान को यादकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. यही नहीं, दोनों ने प्रताप गौरव केन्द्र के निर्माण को भविष्य के लिए शुभ संकेत बताया. साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं से सिर्फ राम नाम ही नही जपने बल्कि राम के लिए काम करने का भी आह्वान किया.



इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि इतिहास कहता है कि जिस देश के लोग सजग, शीलवान, सक्रिय और बलवान हों, उस देश का भाग्य निरंतर आगे बढ़ता है. संघ प्रमुख ने कहा कि हमेशा चर्चा होती है कि भारत विश्वशक्ति बनेगा, लेकिन उससे पहले हमारे पास एक डर का एक डंडा अवश्य होना चाहिये, तभी दुनिया मानेगी.


2019 का चुनाव दो विचारधाराओं की लड़ाई था: आरएसएस
इससे पहले देश में हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत के साथ जोरदार वापसी के एक दिन बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस साल का लोकसभा चुनाव दो अलग अलग विचारधाराओं - जीवन का हिंदू तरीका और बहिष्कार तथा विभाजन की राजनीति- के बीच था.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) मनमोहन वैद्य ने यहां एक बयान में यह बात कही. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों से, स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही वैचारिक लड़ाई अब ‘‘निर्णायक स्थिति’’ में पहुंच गई है. चुनाव परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि यह ‘भारत’ के एक उज्जवल भविष्य के लिए खुशी का दिन है. वैद्य ने कहा कि 2019 के आम चुनाव भारत में दो भिन्न विचारधाराओं के बीच प्रतिद्वंद्विता का रहा है.


संघ नेता ने कहा, ‘‘एक विचारधारा प्राचीन अभिन्न मूल्यों के समग्र और सभी समावेशी विचार प्रक्रिया पर आधारित है, जिसे संसार में हिंदू जीवन पद्धति के रूप में जाना जाता है." उन्होंने कहा, ‘‘जबकि दूसरी विचारधारा यह है कि जिसका गैर-भारतीय परिप्रेक्ष्य है और वह भारत को खंडित पहचान से देखती है. यह समाज को व्यक्तिगत लाभ के लिए जाति, भाषा, राज्य या धर्म के आधार पर बांटती है.’’


वैद्य ने कहा कि यह चुनाव उस वैचारिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि स्वतंत्रता के बाद से ही चल रही है. भाजपा का नाम लिये बिना वैद्य ने इसके ‘‘सशक्त नेतृत्व’’ और इसकी वैचारिक लड़ाई के समर्थन में लगे कार्यकर्ताओं को बधाई दी.


(इनपुट: एजेंसी ANI से भी)