नई दिल्‍ली: सपा-बसपा गठबंधन से पहले माना जा रहा था कि अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल (रालोद) को भी इसमें शामिल किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक रालोद गठबंधन में पांच-छह सीटें अपने लिए मांग रही थी लेकिन इसके बावजूद जब मायावती और अखिलेश ने गठबंधन का ऐलान किया तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्‍व के लिए दो सीटें छोड़ने के बाद 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा सपा-बसपा ने की. इस तरह बाकी दलों के लिए केवल दो सीटों की गुंजाइश गठबंधन ने छोड़ी. सूत्रों के मुताबिक इस गठबंधन ने ये दो अन्‍य सीटें रालोद के लिए छोड़ी थीं लेकिन रालोद इससे संतुष्‍ट नहीं है.


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इस कड़ी में ही सपा नेता अखिलेश यादव और रालोद नेता जयंत चौधरी की बुधवार को नई दिल्‍ली में मुलाकात होने जा रही है. इसमें सीट बंटवारे को लेकर चर्चा होने की उम्‍मीद है. सूत्रों के मुताबिक कैराना फ़ॉर्मूले के तहत एक सीट रालोद को और दी जा सकती है. कैराना लोकसभा उपचुनाव के वक्‍त सपा और रालोद के बीच जो तालमेल हुआ था, उसके तहत कैराना में रालोद के चुनाव चिन्‍ह पर सपा के प्रत्‍याशी ने चुनाव लड़ा था. उसको ही कैराना फॉर्मूला कहा जाता है.


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नाउम्मीद नही हैं रालोद के नेता
सूत्रों के मुताबिक गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को मुंहमांगी सीटें न मिलने के बाद भी पार्टी के नेता नाउम्मीद नहीं हैं. उनका कहना है कि अभी गठबंधन में शामिल नेताओं से बात की जाएगी और हमें हमारा वाजिब हक मिलेगा.


सपा-बसपा की प्रेस कांफ्रेस के बाद रालोद के वरिष्ठ नेता मसूद अहमद ने कहा कि 'रालोद अभी भी गठबंधन में है, हमारे उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव से छह सीटों की मांग की थी, अभी हम नाउम्मीद नही है. हमारे नेता जयंत गठबंधन के नेताओं से बातचीत करेंगे और हमें हमारा हक मिलेगा.' उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में मामला साफ हो जाएगा और हमें उम्मीद है कि गठबंधन के नेता हमारी मांगों पर विचार करेंगे.


रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि 'गठबंधन की सीटें तय हो गई हैं. हमारी अभी वार्ता चल रही है. सीट का कोई मुददा नहीं है, सीटें निकल आएंगी. हमारा मुख्य उददेश्य भाजपा को हराना है जिसके लिए सबको साथ आना है. समर्पण भी है, त्याग भी है...मगर सम्मानजनक होना चाहिए.’’


एक सप्ताह में तय हो जाएंगी सपा-बसपा की सीटें
सूत्रों के मुताबिक पिछले शनिवार को गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही दोनों दल साझा चुनाव अभियान की भी रूपरेखा जल्द तय कर लेंगे.


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)