नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के विवादित स्थल सहित 67.703 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने संबंधी 1993 के केन्द्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका पर इस संबंध में पहले से ही लंबित मामले के साथ विचार किया जाएगा.


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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस मुद्दे को लेकर नयी याचिका को मुख्य याचिका के साथ ही संलग्न करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि इस याचिका को उसी पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जाए जो इस मसले पर पहले से विचार कर रही है.



सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं कमलेश तिवारी और हिंदु महासभा से कहा है, 'आपको जो कहना है, अपनी बात संविधान पीठ के सामने रखें.' अयोध्या एक्ट के के तहत केंद्र सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया था. दोनों नई याचिकाओं में मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दे कि वो जमीन पर पूजा और दर्शन में दखल न दे. क्योंकि ये जमीन हिंदूवादी संगठनों की है.


अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि  अयोध्या एक्ट 1993 के तहत केंद्र सरकार द्वारा जमीन का  अधिग्रहण संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हासिल हिंदुओं की  धार्मिक स्वतंत्रता और संरक्षण के अधिकार का हनन है.