मो. गुफरान/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में मुहर्रम पर ताजिये दफन नहीं होंगे. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ताजिया दफन करने की परमीशन देने से इनकार कर दिया है. इस संबंध में दायर सभी अर्जियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया. ताजिये दफन करने की परमीशन दिए जाने के लिए दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि महामारी के वक्त में सड़कों पर भीड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती. सभी देशवासियों को कड़ाई से कोविड की गाइड लाइन का पालन करना चाहिए.


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आपको बता दें कि ताजिये दफनाने की परमीशन दिए जाने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चार अर्जियां दाखिल की गईं थीं. इन अर्जियों में पुरी के जगन्नाथ यात्रा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानने के लिए कहा था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान परिस्थितियां अलग थीं. वहां सिर्फ एक जगह का ही मामला था, उसके लिए कोर्ट से मिली परमीशन को मुहर्रम में ताजिये दफन करने लिए परमीशन देने का आधार नहीं बनाया जा सकता. जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया.


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इन अर्जियों में कहा गया था कि योगी सरकार ने ताजिया बनाने व घर में रखने की इजाजत दी है तो दफनाने की भी परमीशन मिलनी ही चाहिए. शुक्रवार (28 अगस्त) को कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. आज ओपेन कोर्ट में दोनों पक्षों की मौजूदगी में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने की थी अर्जियों को खारिज करने की सिफारिश. हाई कोर्ट में याचिकाओं का पक्ष वकील काशिफ अब्बास रिजवी ने रखा, जबकि यूपी सरकार के पक्ष वकील रामानंद पाण्डेय ने.


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