रुद्रप्रयाग: देवस्थानम बोर्ड और केदारनाथ मास्टर प्लान के विरोध में धरना दे रहे तीर्थपुरोहितों की तबीयत अब बिगड़ने लगी है. केदारनाथ धाम में 12 जून से अर्धनग्न होकर धरना रहे तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी की सोमवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें स्ट्रेचर के सहारे एसडीआरएफ व पुलिस की टीम पहले लिनचैली लाई. जहां तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें एयर एम्बुलेंस के जरिए ऋषिकेश AIIMS ले जाया गया. जहां उनका इमरजेंसी वॉर्ड में उपचार चल रहा है.


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केदारनाथ मंदिर परिसर में आचार्य संतोष त्रिवेदी तीन माह से अपनी दो मांगों को लेकर अर्धनग्न होकर धरना दे रहे हैं और सिर्फ एक ही समय भोजन खा रहे हैं. उनकी मांग है कि देवस्थानम बोर्ड को भंग किया जाए और केदारनाथ में मास्टर प्लान के तहत हो रहे निर्माण कार्यों को भी बंद किया जाए. उनका कहना है कि देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद से केदारनाथ धाम में अव्यवस्थाएं हावी हो चुकी हैं, तीर्थ पुरोहितों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पहले की तरह श्री बद्री-केदार मंदिर समिति को चारधाम की कमान सौंपी जाए.


सोमवार को उन्हें पेट में दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने शासन-प्रशासन को इसकी सूचना दी. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित विनोद शुक्ला ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित आंदोलन पर डटे हैं. बावजूद इसके सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है. तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी तीन माह से अर्धनग्न होकर धरना दे रहे थे जिस कारण उनकी तबियत खराब हो गई और उन्हें इलाज के लिए AIIMS ले जाया गया है.


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क्या है चार धाम देवस्थानम एक्ट?
सरकार ने चारो धामों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए चार धाम समेत कुल 51 मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई.  मुख्यसचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव को इसका पदेन सदस्य नियुक्त किया गया. इसके अलावा भारत सरकार के संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को भी पदेन सदस्य नियुक्त किया गया. टिहरी रियायत के के सदस्य को भी बोर्ड में नामित किया गया. सनातन धर्म का पालन करने वाले 3 सांसद और 6 विधायक भी बोर्ड में नामित होते हैं. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.


गठन के बाद से ही राजनीति का केंद्र बन गया है बोर्ड
बोर्ड के गठन के बाद उत्तराखंड कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुददा बनाते हुये तीर्थ पुरोहितों को साथ लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने खुले मंच ने सरकार में आने के बाद इसको निरस्त करने का वायदा भी तीर्थ पुराहितों से किया है.


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