नई दिल्ली: भारत को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन उससे पहले कई तरह दुर्भाग्यपूर्ण क्षण देखे गए, जिन्हें याद करने पर आज भी देशवासियों को दुख होता है. कई वीर बलिदानियों का खून बहा. उन्हीं के साथ देश के आमजन को भी क्या कुछ नहीं सहना पड़ा. यह भारत के उन्हीं वीर सपूतों की मेहनत और उनका बलिदान है, जो आज हम शान से देश में 75वां स्वतंत्रता दिवस मना पा रहे हैं. लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले हिंदुस्तान दो देशों में बंट गया था. यह बंटवार इतना आसान नहीं था. बंटवारे का वह दर्द भुलाया नहीं जा सकता. 


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एक ऐसा शहर, जहां रात 12 बजे मनाया गया आज़ादी का 75वां जश्न, 1947 से चली आ रही है परंपरा


विभाजन के साथ शुरू हुई थी नफरत और हिंसा
पीएम मोदी ने बीते शनिवार ऐलान किया कि अब से हर साल 14 अगस्त को लोगों के संघर्षों एवं बलिदान की याद में अब 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. पीएम ने कहा कि विभाजन के चलते नफरत और हिंसा ने लोगों को घेर लिया था. इस वजह से हमारे कई देशवासियों ने विस्थापित होना पड़ा और उनका जान भी गई. पीएम मोदी ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसलिए मनाया जाएगा, ताकि सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को दूर किया जा सके और सामाजिक सद्भाव, एकता और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत किया जा सके. 


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लाखों लोगों ने छोड़ दी थीं अपनी जड़ें
वर्ष 1947 में ब्रिटिश कोलोनियल रूल द्वारा भारत का विभाजन हुआ और इसी के साथ पाकिस्तान का निर्माण. पाकिस्तान एक मुस्लिम देश के रूप में सामने आया. उस समय, साल 1947 में लाखों लोग अपने घर छोड़कर, अपनों को छोड़कर विस्थापित होने को मजबूर हुए. बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने शुरू हो गए, जिस वजह से कई लाख लोगों की जान गई.


आगे की पीढ़ियों को रहेगा याद
प्रधानमंत्री मोदी ने जब इस आशय का ऐलान किया, उसके बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में नोटिफाई कर लिया. यह दिवस उन सभी लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि के तौर पर है, जिन्होंने विभाजन के समय अपनी जान गंवाई या अपनी जड़ों को छोड़ा. इसी के साथ आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों को इस दिन के माध्यम से याद दिलाया जाएगा कि देश की आजादी के जश्न से पहले हमें उन्हें याद करना चाहिए, जिन्होंने पीड़ा और दर्द झेला.


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