एक ऐसा शहर, जहां रात 12 बजे मनाया गया आज़ादी का 75वां जश्न, 1947 से चली आ रही है परंपरा
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एक ऐसा शहर, जहां रात 12 बजे मनाया गया आज़ादी का 75वां जश्न, 1947 से चली आ रही है परंपरा

नौशाद मंसूरी ने यह भी कहा कि हम गांधी जी और नेहरू जी के सपनों का भारत बनाना हमारी जिम्मेदारी है. भारत की अस्मिता की रक्षा के लिए अगर हमें प्राणों की आहुति देनी पड़े तो भी हम तैयार हैं...

एक ऐसा शहर, जहां रात 12 बजे मनाया गया आज़ादी का 75वां जश्न, 1947 से चली आ रही है परंपरा

श्याम तिवारी/कानपुर: 15 अगस्त वैसे तो पूरे देश में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, लेकिन कानपुर में इसकी एक अलग ही परंपरा है. यहां 14 अगस्त की रात 12 बजते ही (जैसे ही 15 अगस्त की तारीख लग जाती है) और घड़ी की सुई प्रथम सेकंड को छूती है, यहां ध्वजारोहण किया जाता है. कानपुर में रात 12.00 बजे ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है और झंडा फहराया जाता है. ऐसे में बीती रात 12.00 बजके ही यहां आतिशबाजी के साथ आजादी का 75वां जश्न मनाया गया.

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मेस्टन रोड पर फहराया जाता है झंडा
कानपुर शहर के मेस्टन रोड के बीच वाले मंदिर के पास यह परंपरा 1947 से चली आ रही है. यहां सबसे पहले 1947 को 14 अगस्त की रात 12.00 बजे तब झंडा फहराया गया था, जब अंग्रेजो ने भारत को आजादी सौंपी थी. इस झंडा रोहण में शहर के सभी वर्ग के लोगों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी भाग लेते हैं.

नौशाद आलम मंसूरी ने फहराया झंडा
नौशाद आलम मंसूरी, जिलाध्यक्ष कानपुर कांग्रेस ने बताया कि हिंदुस्तान जब आजाद हुआ था, तो देश का सबसे पहला झंडा कानपुर में फहराया गया था. 15 अगस्त लगते ही शिव नारायण टंडन ने यहा ध्वजारोहण किया था. इन 75 सालों के जश्न को वॉर्ड अध्यक्ष नीरज त्रिवेदी, सभी नेताओं और पदाधिकारियों ने जनता के साथ मिलकर जोर-शोर से मनाया है. झंडा रोहण के साथ ही हम यह संकल्प लेते हैं कि हिंदुस्तान की मिट्टी में हर रंग, जाति, आर्थिक स्थिति, हर पद के लोग एक बराबर रहेंगे. हमारा संकल्प है कि हम हिंदु्स्तान को विकास की ओर ले जाएंगे, बुलंदी की ओर ले जाएंगे. जिन लोगों ने हिंदुस्तान में नफरत के चिराग को जलाया है, उसे बुझा कर हम प्यार का संदेश फैलाएंगे. 

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भारत की अस्मिता की रक्षा हमारी जिम्मेदारी
नौशाद मंसूरी ने यह भी कहा कि हम गांधी जी और नेहरू जी के सपनों का भारत बनाना हमारी जिम्मेदारी है. भारत की अस्मिता की रक्षा के लिए अगर हमें प्राणों की आहुति देनी पड़े तो भी हम तैयार हैं. 

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