लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल विभिन्न जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए डोरे डालने लगे हैं. पहले ओबीसी, दलित व मुस्लिम वोट बैंक इन पार्टियों की नजर ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन 2022 यूपी​ विधानसभा चुनाव के केंद्र में ब्राह्मण रहने वाले हैं ऐसा प्रतीत हो रहा है.


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कानपुर के बिकरू कांड के बाद सबसे पहले ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कवायद कांग्रेस ने शुरू की. जितिन प्रसाद ने 'ब्राह्मण चेतना मंच' बनाया. लेकिन भाजपा ने जितिन को अपने पक्ष में लाकर कांग्रेस को झटका दे दिया. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों को फोकस में रखकर अयोध्या से 'प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन' सम्मेलन की शुरुआत की. अब समाजवादी पार्टी ने भी ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की कवायद शुरू कर दी है. 


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लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को अपनी पार्टी के पांच बड़े ब्राह्मण नेताओं के साथ करीब ढाई घंटे तक मंथन किया. इस मीटिंग में तय हुआ कि समाजवादी पार्टी 15 अगस्त से बलिया की धरती से ब्राह्मण सम्मेलन शुरू करेगी. चूंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जातीय सम्मेलनों पर रोक लगाया है, इसलिए समाजवादी पार्टी इसको कोई दूसरा नाम दे सकती है. सपा पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि सरकार में आने पर वह भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगवाएगी. 


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समाजवादी पार्टी कार्यालय में रविवार को अखिलेश यादव के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, पूर्व मंत्री मनोज कुमार पाण्डेय व अभिषेक मिश्रा, पूर्व सपा विधायक संतोष कुमार पाण्डेय, बलिया से 2019 में पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी रहे सनातन पाण्डेय ने करीब ढाई घंटे के गहन मंथन के बाद ब्राह्मण सम्मेलन की रूप रेखा तैयार की. तय हुआ कि ब्राह्मणों के साथ जहां भी कोई अत्याचार होगा, समाजवादी पार्टी के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचकर उनके पक्ष में खड़ा होगा.


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