Dussehra 2022 Date: दशहरा 4 या 5 अक्टूबर को? तुरंत दूर करें कन्फ्यूजन, इस दिन होगी शस्त्र पूजा
Dussehra 2022 Confirm Date: नवरात्रि खत्म होने के बाद दशहरा पर्व आएगा. इस बार दशहरा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है. ऐसे में हम आपको सही तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त बताने जा रहे हैं....
Dussehra 2022 Date And Shubh Muhurat: शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से हो चुकी है. नौ दिनों के बाद दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दशहरा यानी विजयादशमी के पर्व का खास महत्व है. पूरे देश में विजयदशमी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, इस बार दशहरा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. कुछ लोग 4 अक्टूबर को दशहरा मनाने की बात कह रहे हैं, तो कुछ लोग 5 तारीख की. ऐसे में आइये जानते हैं कि असल में विजयादशमी किस दिन मनायी जाएगी. इसके साथ ही इस दिन होने वाली पूजा का शुभ मुहूर्त भी जानते हैं.
इस कारण बना हुआ है संशय
हर साल अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी. जो अगले दिन यानी बुधवार 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी. यही कारण है कि कई लोगों में विजयदशमी की सही तिथि को लेकर संशय बना हुआ है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 5 अक्टूबर को ही विजयदशमी मनानी चाहिए. इस दिन दोपहर 12 बजे तक दशमी तिथि रहेगी. ऐसे में इस दिन सुबह शस्त्र पूजा की जा सकती है. वहीं रात में रावण दहन किया जाएगा.
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बन रहे हैं ये शुभ योग
इस दिन विजय, अमृत काल और दुर्हुमूर्त जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
दशहरा शुभ मुहूर्त (Dussehra 2022 Shubh Muhurta)
दशमी तिथि की शुरुआत- 04 अक्टूबर 2022, दोपहर 2:20 बजे से
दशमी तिथि समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे से
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ- 4 अक्टूबर 2022, रात 10 बजकर 51 मिनट से
श्रवण नक्षत्र समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, रात 09 बजकर15 मिनट तक
विजय मुहूर्त- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
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विजयदशमी की पूजा विधि और महत्व
दशहरे के दिन सुबह जल्दी स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. फिर भगवान श्री राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें. इस दिन गाय के गोबर से 10 गोले बनाकर जौ के बीज लगाए जाते हैं. इसके बाद भगवान की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा सम्पन्न होने के बाद इन दसों गोलों को जला दें. दरसअल, ये गोले 10 रावण का प्रतीक होते हैं. भक्त अपने अंदर से इन बुराइयों को खत्म करने की भावना के साथ इन 10 गोलों को जलाकर भस्म कर देते हैं.
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