प्रमोद कुमार/कुशीनगर : चार अगस्‍त को इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे है. इतिहास में फ्रेंडशिप के कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है. कुछ ऐसी ही मिसाल कुशीनगर के लाल ने पेश की है. खास बात यह है कि यह ना तो मनुष्य का मित्र है ना ही जानवरों का बल्कि उसके मित्र पेड़ पौधे हैं. सुनकर थोड़ी हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है. तो आइये जानते कैसे यह यूपी का लाल पौध प्रेमी बन गया.  


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पेड़-पौधों की रक्षा कर रहे 
आपने अक्सर रास्ते से गुजरते किसी बोर्ड पर, किसी होर्ल्डिंग पर, किताबों पर या फिर पेड़ पौधों के सुरक्षा कवच पर देखा पढ़ा होगा कि 'वन नहीं तो जन नहीं, वृक्ष लगाओ जीवन बचाओ'...यह पढ़कर ज्‍यादातर लोग आगे बढ़ जाते हैं. हालांकि, यूपी के कुशीनगर के कप्तानगंज तहसील के एक छोटे से गांव मठिया धीर के रहने वाले जितेंद्र प्रसाद गोपाल हममें से अलग निकले. 


मरते दम तक लगाते रहेंगे पौधे 
अक्सर बचपन की स्कूली शिक्षा हम भूल जाते हैं, पर कुशीनगर के जितेंद्र प्रसाद नहीं भूले. जितेंद्र बताते हैं कि, हमारे अध्यापक ने एक बार कक्षा में पढ़ाते वक्त कटते जंगलों, पेड़-पौधों पर चिंता जाहिर की थी. ये बात तब से मेरे जहन में बस गई और मैं उसी वक्त संकल्‍प लिया कि जीवन में मरते दम तक पेड़ लगाऊंगा. इसके बाद दसवीं पास जितेंद्र प्रसाद ने साल 1985 से ही पौधे को अपना मित्र मान पर्यावरण को बचाने का बेड़ा उठा लिया. 


रेस्‍क्‍यू करके लाए पेड़-पौधों की करते हैं देखभाल 
जितेंद्र बताते हैं कि एक समय था जब मैं अकेला अपने इलाके में पौधे लगाया करता था. अब कई लोग जुड़ गए हैं. लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं ताकि हम अपनी प्रकृति की सुंदरता को बचाए रखें. जितेंद्र ने बताया कि पेड़-पौधों की देखभाल के लिए उन्हें पालने पोसने के लिए जहां एक नर्सरी तैयार की है. वहीं दूसरी ओर वह रेस्क्यू करके लाए पेड़-पौधों की देखभाल भी करते हैं. 


फ्री में देते हैं पौधे 
पीपल, बरगद, नीम, पाकड़, बेल, जामुन, अशोक और तुलसी जैसे पौधे उगा रहे हैं. इसके बाद इन पौधों को निशुल्क लोगों की शादियों से लेकर अन्य त्योहारों और अपने समाज में बांटते हैं. ताकि दिनों दिन बढ़ते प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ पृथ्वी को फिर से हरा भरा बनाया जा सके. जितेंद्र अब तक 30 हजार के करीब पौधे लगा चुके हैं, जो अब विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं. 


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