नई​ दिल्ली: मऊ के घोसी संसदीय सीट से बसपा सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली वाराणसी के एक कॉलेज की पूर्व छात्रा और गाजीपुर निवासी उसके साथी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर खुद को आग लगा ली. युवती और युवक ने यह आत्मघाती कदम उठाने से पहले फेसबुक पर लाइव होकर एक वीडियो भी बनाया. एफबी लाइव के दौरान ही दोनों ने खुद को आग लगाई.


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फेसबुक लाइव कर युवक-युवती ने खुद को लगाई आग
आत्मदाह करने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. घटना से पहले पीड़िता और उसके साथी ने फेसबुक पर लाइव आकर पुलिस प्रशासन पर कई आरोप लगाए. हाल ही में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने पीड़िता के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में गैर जमानती वारंट जारी किया था. आपको बता दें कि घोसी के बसपा सांसद अतुल राय दुष्कर्म के आरोप में पिछले दो साल से प्रयागराज के जेल में बंद हैं.


पीड़िता ने मई 2019 को सांसद पर दर्ज कराया था केस
फेसबुक लाइव वीडियो में पीड़िता और उसके साथी ने वाराणसी पुलिस के तत्कालीन अफसरों और न्याय व्यवस्था को कोसते हुए यह कदम उठाया. फिलहाल दोनों को गंभीर अवस्था में नई दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया है. सांसद अतुल राय के खिलाफ बलिया की रहने वाली पीड़िता ने 1 मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था.


अतुल राय ने 2019 में सांसद बनने के बाद किया सरेंडर
वाराणसी के एक कॉलेज की छात्रा रह चुकी पीड़िता का आरोप है कि अतुल राय ने 7 मार्च 2018 को उसे लंका स्थित अपने फ्लैट में अपनी पत्नी से मिलाने के बहाने बुलाया था. वहां पहुंचने पर सांसद और उनके साथियों ने युवती के साथ दुष्कर्म किया गया और अश्लील वीडियो भी बना लिया. गिरफ्तारी से बचने के लिए अतुल राय भूमिगत हो गए. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान वह गायब ही रहे. इसके बावजूद घोसी सीट से उनकी जीत हुई. सांसद बनने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया था.


सांसद ने पीड़िता पर लगाया था ब्लैकमेल करने का आरोप
अतुल राय ने भी पीड़िता के ऊपर ब्लैकमेल करने समेत कई आरोप लगाए थे. इसके बाद पीड़िता के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में एनबीडब्ल्यू जारी हुआ था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भारतेंद्र सिंह की अदालत ने धोखाधड़ी मामले में गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया था. दो अगस्त को अदालत ने यह आदेश वाराणसी कमिश्नरेट की कैंट पुलिस की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद दिया था.


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