Shri Narayana Ashtakam: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. आज दिन गुरुवार है. यह दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित माना जाता है. इस दिन श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. विष्णुजी को प्रसन्न करने के लिए लोग बृहस्पतिवार का व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन नियमानुसार व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से सारे कार्य शुभ होते हैं. मान्यता है कि विष्णु जी की पूजा के दौरान श्री नारायणाष्टकम् का पाठ जरूर करना चाहिए. इससे जगत के पालनकर्ता जरूर प्रसन्न होते हैं. इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. 


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॥ श्री नारायणाष्टकम् ॥
वात्सल्यादभयप्रदान-समयादार्तिनिर्वापणा-


दौदार्यादघशोषणाद-गणितश्रेयःपदप्रापणात्।


सेव्यः श्रीपतिरेक एवजगतामेतेऽभवन्साक्षिणः


प्रह्लादश्च विभीषणश्चकरिराट् पाञ्चाल्यहल्या ध्रुवः॥1॥


प्रह्लादास्ति यदीश्वरो वदहरिः सर्वत्र मे दर्शय


स्तम्भे चैवमितिब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः।


वक्षस्तस्य विदारयन्निजन-खैर्वात्सल्यमापाद-


यन्नार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥2॥


श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघोरक्षोभयादागतः


सुग्रीवानय पालयैनमधुनापौलस्त्यमेवागतम्।


इत्युक्त्वाभयमस्यसर्वविदितं यो राघवो


दत्तवानार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥3॥


नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरंब्रह्मादयो भो सुराः


पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणंदेवेष्वशक्तेषु यः।


मा भैषीरिति यस्यनक्रहनने चक्रायुधः श्रीधर।


आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥4॥


भो कृष्णाच्युत भो कृपालयहरे भो पाण्डवानां सखे


क्वासि क्वासि सुयोधनादपहृतांभो रक्ष मामातुराम्।


इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुंयोऽपालयद्द्रौपदी-


मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥5॥


यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतांपापौघविध्वंसनं


यन्नामामृतपूरकं चपिबतां संसारसन्तारकम्।


पाषाणोऽपि यदङ्घ्रिपद्मरजसाशापान्मुनेर्मोचित।


आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥6॥


पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतंचौत्तानपादिध्रुवो दृष्ट्वा


तत्सममारुरुक्षुरधृतोमात्रावमानं गतः।


यं गत्वा शरणं यदापतपसा हेमाद्रिसिंहासन-


मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥7॥


आर्ता विषण्णाः शिथिलाश्च भीताघोरेषु च व्याधिषु वर्तमानाः।


सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमात्रंविमुक्तदुःखाः सुखिनो भवन्ति॥8॥


॥ इति श्रीकूरेशस्वामिविरचितं श्रीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥


इन मंत्रों का करें जाप 


1. विष्णु मूल मंत्र 
ॐ नमोः नारायणाय॥


2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥


3. विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥


4. विष्णु शान्ताकारम मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥


5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 


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