Hari Shankar Jain and Vishnu Shankar Jain: उत्तर प्रदेश में वर्षों से मंदिर-मस्जिद विवाद चलता आ रहा है. बाबरी मस्जिद के बाद इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह मस्जिद केस चर्चा में हैं. इन सभी मामलों में दो चेहरे सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे. यह जोड़ी हमेशा हिंदू पक्ष की ओर से मोर्चा संभालते हुए दिखती है. अयोध्या के विवादित ढांचा मामले में बड़ी जीत दिलाने के बाद काशी विश्वनाथ धाम से जुड़ी ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में जैन वकीलों ने बड़ी जीत दिलाई है. जैन ने एएसआई रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि ज्ञानवापी में मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है. 


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वकालत के पेशे में दोनों जाना-पहचाना नाम हैं. हम बात कर रहे हैं, पिता हरि शंकर जैन और पुत्र विष्णु शंकर जैन की. इस पिता-पुत्र की जोड़ी का मुख्य लक्ष्य हिंदू राष्ट्र की स्थापना है. यह जोड़ी अब तक सैकड़ों केस लड़ चुकी है, जिसमें अयोध्या की बाबरी मस्जिद, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, आगरा के ताज महल और नई दिल्ली स्थित कुतुब मीनार भी शामिल हैं. आज हम आपको इस जोड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं. 


हरिशकंर जैन मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं. जानकारी के मुताबिक, हरिशंकर जैन को वकालत करते-करते करीब 47 साल हो गए हैं. उन्होंने 1976 में वकालत शुरू की थी. वहीं उनके बेटे विष्णु जैन का जन्म 9 अक्टूबर 1986 को हुआ था. विष्णु भी अपने पिता के नक्शे-कदम पर चले. उन्होंने साल 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से डिग्री हासिल की. इसके बाद वकालत में अपना करियर शुरू कर दिया और पिता के साथ तब से लेकर अब तक हैं. उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का पेपर पास करके नई उपाधि हासिल की थी. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला है. विष्णु ने श्रीराम जन्मभूमि मामले से प्रैक्टिस शुरू की. 


पिता-पुत्र की जोड़ी संभाल रही ये मामले 
हिंदू धर्म से संबंधित करीब 102 मामलों से हरिशंकर जैन और विष्णु जैन जुड़े हैं. जिसमें सबसे पुराना मामला साल 1990 का है. खास बात ये है कि ज्यादातर मामलों में इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने जीत हासिल की. जबकि कुछ केस अभी भी चल रहे हैं. मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के मामले से लेकर कुतुब मीनार बनाने के लिए मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मामला, ताजमहल के पूर्व शिवमंदिर होने का दावा, वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती देने के मामले को यही दोनों संभाल रहे हैं. लखनऊ में स्थित टीले वाली मस्जिद के शेष गुफा होने का दावा भी इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने किया है. इतना ही नहीं इन दोनों ने भारत के संविधान की प्रस्तावना में शामिल किए गए सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द के संशोधन की वैधता को भी चुनौती दी है. केवल साल 2021 में वकील पिता-पुत्र की जोड़ी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सात केस दर्ज किए, जिसमें गंगा नदी, देवी नंदी और मां श्रृंगार गौरी का मामला है. 


श्रीराम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष रखने का मिला था ऑफर 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरिशंकर जैन को श्रीराम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष रखने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. उनका मानना था कि वे पैसों के लिए अपनी अंतरआत्मा नहीं बेच सकते.


बताया जाता है कि हरि को अपनी मां से काफी लगाव था. मां से ही उन्होंने हिंदुत्व और धर्म के बारे में जाना था. 6 दिसंबर 1992 को मां के देहांत हो गया, जिसके बाद वह बुरी तरह से टूट गए. इसके बाद भी धर्म के प्रति वह जो अपनी जिम्मेदारी समझते हैं, उससे पीछे नहीं हटे. लिहाजा मां की तेरहवीं के अगले ही दिन यानी 20 दिसंबर 1992 को वह हिंदू पक्ष की याचिका डालने इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए. वह इस केस में तब तक डटे रहे जब तक कोर्ट ने श्रीराम भगवान की पूजा अर्चना की अनुमति नहीं दी. 


सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ चुके चुनाव 
हरि शंकर कांग्रेस और सोनिया गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला था. इतना ही नहीं उन्होंने साल 1993 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ना. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के चुनाव को यह आधार देते हुए चुनौती दी थी कि वह इटली मूल की नागरिक हैं, भारतीय नहीं. इसके साथ ही राजीव गांधी के साथ सोनिया के विवाह की वैधता को भी चुनौती दी थी. उन्होंने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(सी) की वैधता को भी चुनौती दी थी, इसी के तहत सोनिया ने रजिस्ट्रेशन के जरिए अपनी भारतीय नागरिकता हासिल की. हालांकि, साल 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. 


बाप-बेटे की यह जोड़ी हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, हिंदू महासभा, गोवा की सनातन संस्था, भगवा रक्षा वाहिनी और हिंद साम्राज्य पार्टी जैसे कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. यह जोड़ी “कानूनी जागरूकता से हिंदू क्रांति” (“Hindu revolution by legal awareness”) लाना चाहती है. 


ज्ञानवापी मस्जिद नहीं मंदिर है!, ASI रिपोर्ट के आधार पर हिन्दू पक्ष का बड़ा दावा


Gyanvapi ASI Report: ज्ञानवापी मस्जिद नहीं हिन्दू मंदिर, एएसआई रिपोर्ट ने किया बड़ा खुलासा