Chandrayaan 3 Budget: आदिपुरुष से भी कम था इसरो के चंद्रयान-3 का बजट, हॉलीवुड-बॉलीवुड फिल्मों से सस्ता
Chandrayaan 3 vs Aadipurush Budget: इसरो के चंद्रयान-3 की लागत हॉलीवुड क्या बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर मूवी से भी कम रहा है. चंद्रयान-3 से ज्यादा खर्च तो आदिपुरुष फिल्म पर आया था.
ISRO Chandrayaan 3 Budget : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बेहद कम लागत में चंद्रमा पर तिरंगा लहरा दिया. चंद्रयान-3 का बजट महज 615 करोड़ रुपये था जो आदिपुरुष (Aadipurush Budget) फिल्म से भी काफी कम था. रूस के चंद्रमा मिशन लूना की लागत इससे करीब ढाई गुना ज्यादा रही थी. अमेरिका और चीन के ऐसे ही मून मिशन की लागत 3 से 3.5 गुना ज्यादा रही. यही नहीं, भारत की ब्लॉकबस्टर मूवी आदिपुरुष का बजट भी चंद्रयान-3 के मुकाबले अधिक था.
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरुष का बजट भी करीब 700 करोड़ रुपये था. फिल्म आरआरआर (RRR) का बजट 550 करोड़ रुपये और साहो का बजट भी 350 करोड़ रुपये था. बाहुबली -2 का बजट भी 250 करोड़ रुपये था. बाहुबली 2 (Baahubali 2) ने रिलीज के पांच दिनों में ही 709 करोड़ रुपये कमा लिए थे, जो चंद्रयान 3 के बजट से ज्यादा था. कुल मिलाकर इस फिल्म ने सिर्फ भारत में ही 30 दिनों में 1000 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी. सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म गदर-2 भी दो हफ्तों में 450 करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा पार कर चुकी है. एक हफ्ते में इसकी कमाई भी चंद्रयान 3 की कमाई से ऊपर निकल जाएगी.
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चंद्रयान 3 मिशन का बजट
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन लगभग 615 करोड़ रुपये के खर्च से तैयार हुआ है. इसमें विक्रम लैंडर, रोवर प्रज्ञान और प्रोपल्सन मॉड्यूल का 255 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि चंद्रयान 2 का खर्च इससे कहीं ज्यादा थी. चंद्रयान 2 पर करीब 978 करोड़ का खर्च था. रूस के मिशन मून लूना-25 की लागत करीब 1659 करोड़ थी, लेकिन फिर भी यह सफल नहीं हो पाया.
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इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों के बजट के मुकाबले भी कम है. एक्टर टॉम क्रूज की मिशन इंपॉसिबल डेड रिकॉर्डिंग पार्ट 1 का बजट चंद्रयान-3 से तीन गुना से भी ज्यादा था. टॉम क्रूज के फिल्म का बजट 2386 करोड़ रुपये था.
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इसरो का स्पेस मिशन कितना किफायती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि दुनिया के 80 से ज्यादा देश अपने सैटेलाइट का प्रक्षेपण भारत के जरिये करवाते हैं. भारत का पीएसएलवी कार्यक्रम दुनिया भर में कामयाबी के झंडे गाड़ चुका है. अब भारत का जीएसएलवी कार्यक्रम भी पटरी पर आ चुका है, जिसके जरिये ज्यादा भारी सैटेलाइट को भी भारत आसानी से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर सकेगा. अभी इसके लिए फ्रैंच गुयाना के कौरू प्रक्षेपण केंद्र की मदद लेनी पड़ती है.
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