निमिषा श्रीवास्तव/लखनऊ: सुरों के बेताज बादशाह कैलाश खेर (Kailash Kher) एक ऐसे सिंगर हैं, जिनकी आवाज सुन फैंस के दिल और दिमाग में अलग तरह की एनर्जी आ जाती है. उनकी आवाज के करोड़ों दीवाने हैं. उत्तर प्रदेश के मेरठ में 48 साल पहले आज के ही दिन कैलाश खेर का जन्म हुआ था और कुछ साल बाद से ही, उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरना शुरू कर दिया था. हालांकि कैलाश खेर, 'दि ग्रेट कैलाश खेर' तब बने, जब उनका 'अल्लाह के बंदे' रिलीज हुआ. इसके बाद तो उन्होंने 'तेरी दीवानी', 'सइयां', 'बम लहिरी', 'यूं ही चला चल' जैसे कई गानों से सबके दिलों में जगह बना ली. एक मंझा हुआ कलाकार बनने की मेहनत कैलाश ने बचपन से ही शुरू कर दी थी. 


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आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स, जो शायद उनके कम ही फैंस को पता हों.


1.  सबसे यादगार कॉन्सर्ट- जब एक लड़की ब्लेड लेकर उनके पास आई
कैलाश खेर ने एक बार अपने सबसे यादगार कॉन्सर्ट की बात शेयर की थी. उन्होंने बताया था कि उनके करियर की शुरुआत में ही वे एक कॉन्सर्ट कर रहे थे. उस दौरान एक लड़की हाथ में ब्लेड लेकर आई और सेक्योरिटी से लड़ने लगी. लड़की ने कहा कि अगर उसे कैलाश खेर से न मिलने दिया गया तो वह अपनी नस काटकर सुसाइड कर लेगी. 


वह पल काफी डराने वाला था, लेकिन उस लड़की के प्यार, पागलपन और जुनून ने इस बात को यादगार बना दिया. कैलाश खेर ने बताया कि वह उस कॉन्सर्ट को कभी नहीं भूल सकते. हालांकि, कैलाश हर व्यक्ति से यह अपील करते हैं कि इस तरह की हरकत बिल्कुल न करें.


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2. अपने जन्मदिन पर नए टैलेंट लॉन्च करने का संकल्प
कैलाश खेर ने यह डिसाइड किया था कि वह हर साल अपने जन्मदिन पर एक नया टैलेंट लॉन्च करेंगे. ऐसे में उन्होंने सिनेमा को कई अच्छे गायक और ग्रुप दिए. इनमें 'सुरफिरा', 'इंडी रूट्स', 'एआर डिवाइन' और 'स्पर्श' शामिल हैं.


3. 'मां... मेरी मां... प्यारी मां... मम्मा' है दिल के बेहद करीब
इस गाने के साथ कैलाश खेर की कई यादें जुड़ी हैं. वैसे तो यह गाना स्क्रिप्ट के हिसाब से लिखा गया था, लेकिन कैलाश खेर बताते हैं कि यह उनके दिल के बेहद करीब है. यह गीत सुनकर आपको भी लगेगा कि कैलाश ने इसमें अपनी जान झोंक दी है. 


दरअसल, जब कैलाश खेर स्ट्रगल कर रहे थे, तब उन्होंने अपनी मां से कुछ पैसे मांगे थे ताकि वह तानपुरा खरीद सकें. 2-3 साल बाद जब कैलाश की मां उन्हें पैसे दे पाईं, तब तक वह काफी कर्ज में डूब चुके थे. ऐसे में तानपुरा के लिए मिले पैसे उनके मूल खर्च का हिस्सा बन गए. कुछ साल बाद कैलाश की मेहनत से उनके तारे चमके और वह एक दिग्गज गायक के रूप में माने जाने लगे, लेकिन उनका एक सपना पूरा नहीं हो पाया- मां को तानपुरा के साथ गाकर सुनाना. इसलिए 'मां... मेरी मां... प्यारी मां... मम्मा' गाने से उन्हें बहुत लगाव है.


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4. फेवरेट सिंगर्स को सुनकर ग्रहण की क्लासिकल सिंगिंग की कला
बताया जाता है कि कैलाश खेर क्लासिकल गायक पंडित कुमार गंधर्व, पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, पंडित भीमसेन जोशी और कव्वाली गायक नुसरत फतह अली खान को महज सुनकर गाने की कोशिश करते थे. क्योंकि वह समझ ही नहीं पाए कि संगीत सीखने की सही जगह क्या हैं. उन्हें कहां से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए? लेकिन उन्हें संगीत से इतना प्यार है कि अपनी जी-जान लगाकर वे इस मुकाम तक पहुंचे.


5. अपनी एनर्जी का सारा क्रेडिट ऑडिएंस को
कैलाश खेर ने कई बार कहा कि वह शायद किसी भी कॉन्सर्ट में इतने एनर्जेटिक न होते अगर उन्हें क्राउड से इतना सपोर्ट न मिलता. कैलाश कहते हैं कि उनकी एनर्जी और उत्साह का सारा श्रेय उनके सुनने वालों को ही जाता है, जो कैलाश और उनकी बैंड में एक अलग स्तर जादू भर देता है.


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6. 20 भारतीय भाषाओं में गा चुके हैं गाना
शायद आपको न पता हो लेकिन कैलाश खेर मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया, बंगाली, सिंधि, भोजपुरी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, कोनकणी, राजस्थानी... जैसी 20 से ज्यादा भारतीय भाषाओं के गानों को अपनी आवाज दे चुके हैं. उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की 500 से ज्यादा फिल्मों के लिए काम किया और 1000 से भी ज्यादा रेडियो और टीवी विज्ञापन के जिंगल्स तैयार किए.


7.  यह है कैलाश खेर का फेवरेट गाना
कैलाश खेर के फैंस यह बात जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि हमें एक से बढ़कर एक गाने देने वाले सिंगर को कौन सा गाना सबसे ज्यादा पसंद है. इसपर कैलाश ने कुछ ऐसा बताया, जिसपर हम सब सहमत होंगे. उन्होंने कहा- गीत- संगीत एक सेवा है. यह एक गायक के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की तरह है. यही वजह है कि कोई भी सिंगर किसी एक गाने को नहीं चुन सकता, जिसे वह पसंद या नापसंद करता हो. इस बात से पता चलता है कि कैलाश खेर को अपने सभी गानों से एक सा प्यार है. 


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