लखनऊ: साल 1990 में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे. सबको याद होगा कि अयोध्या में उन्होंने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी थीं. यूपी प्रशासन कारसेवकों पर सख्ती से एक्शन ले रहा था और कइयों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. उस दौरान भाजपा ने वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह को आगे किया था. माना जाता था कि कल्याण सिंह अटल बिहारी बाजपेयी जिनता हुनर रखते हैं. अटल बिहारी के भाषण के बाद लोग कल्याण सिंह के भाषण सुनना बेहद पसंद करते थे और उनके मंच पर आने का इंतजार करते थे. क्योंकि, कल्याण सिंह उग्र तेवर में बोलते थे.


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सीएम बनने के बाद ली थी मंदिर निर्माण की शपथ
कल्याण सिंह की बदौलत यूपी में बीजेपी कम समय में बड़े मुकाम पर पहुंच गई थी. उनकी वजह से 1991 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जीती और कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया. CBI में दायर चार्जशीट में कहा गया था कि सीएम बनने के बाद कल्याण सिंह अयोध्या दौरे पर गए थे और वहां जाकर राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी.


खबर देख चिंता में थे कल्याण सिंह
बताया जाता है कि बीजेपी सरकार बनने के एक साल के अंदर ही, 1992 में कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. उस दौरान, कल्याण सिंह के तत्कालीन प्रमुख सचिव रिटायर्ड IAS ऑफिसर योगेंद्र नारायण ने मीडिया से घटनाक्रम साझा किया था. उन्होंने बताया था कि उस समय कल्याण सिंह अपने कक्ष में लालजी टंडन और ओमप्रकाश सिंह के साथ खाना खा रहे थे और साथ ही टीवी पर न्यूज देख रहे थे. टीवी पर देखा जा सकता था कि कई कारसेवक विवादित ढांचे पर चढ़ चुके हैं और गुंबद गिराने की कोशिश कर रहे हैं. उस समय कल्याण सिंह चिंता में तो थे, लेकिन अधीर बिल्कुल नहीं थे. 


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डीजीपी भागते हुए आए तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह के पास
उस समय, तत्कालीन डीजीपी एसएम त्रिपाठी भागते हुए कल्याण सिंह के पास आए. लेकिन उन्होंने कहा खाने के बाद मिलते हैं. भोजन पूरा होने पर डीजीपी जब उनसे मिले तो बताया कि कारसेवक विवादित ढांचे को तोड़ रहे हैं. ऐसे में फायरिंग की परमिशन चाहिए. कल्याण सिंह ने डीजीपी से पूछा कि फायरिंग में कितने लोग मारे जाएंगे? इसपर डीजीपी बोले कि कारसेवकों ने पूरी तरीके से विवादित स्थल को घेरा हुआ है. वह लोग बड़ी संख्या में वहां मौजूद हैं. अगर प्रशासन फायरिंग करता है तो बहुत लोग मारे जाएंगे. 


कल्याण सिंह ने नहीं दी फायरिंग की अनुमति
इस बात पर कल्याण सिंह ने कह दिया कि या तो आंसू गैस चलाइए या लाठीचार्ज करिए, लेकिन मैं फायरिंग की परमिशन नहीं दे सकता. इसके बाद कल्याण सिंह ने यह भी कहा कि आप चाहें तो मैं कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आपने तो अमुमति मांगी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने नहीं दी. यह सुनकर डीजीपी वापस चले गए.


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राम मंदिर के लिए बनी थी सरकार, उसके लिए ही कुर्बान
कल्याण सिंह टीवी पर देखते रहे कि कारसेवक ढांचा ढहा रहे हैं. उस समय, जैसे ही आखिरी ईंट गिरी, कल्याण सिंह ने अपना सीएम वाला राइटिंग पैड मंगाया और इस्तीफा लिख दिया. उनका कहना था कि ये सरकार श्रीराम के मंदिर के नाम पर ही बनाई गई थी. अब सरकार का मकसद पूरा हो चुका है. इसलिए अब सरकार श्रीराम मंदिर के नाम पर कुर्बान होने को भी तैयार है. 


कल्याण सिंह को मिली थी एक दिन की सजा
बता दें, बाबरी मस्जिद की रक्षा न करने के लिए तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह को एक दिन की सजा सुनाई गई थी. वहीं, दूसरी जगह, पूर्व प्रमुख सचिव दावा करते हैं कि कल्याण सिंह विवादित ढांचा नहीं गिरवाना चाहते थे. लेकिन उस ऐसे परिस्थिति बन गई कि हजारों कारसेवकों की जान लेने के बजाय उन्होंने ढांचा गिर जाना सही समझा.


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