'1 क्या 10 सरकारें कर सकते हैं राम मंदिर पर कुर्बान', कुछ ऐसे दृढ़-संकल्प शक्ति वाले थे Kalyan Singh
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'1 क्या 10 सरकारें कर सकते हैं राम मंदिर पर कुर्बान', कुछ ऐसे दृढ़-संकल्प शक्ति वाले थे Kalyan Singh

बाबारी विध्वंस के बाद ही उन्हें सीएम का पद छोड़ना पड़ा. कल्याण सिंह करीब डेढ़ साल ही सीएम रह सके. बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने खुद ही सीएम पैड पर अपना इस्तीफा लिखकर पद छोड़ दिया...

'1 क्या 10 सरकारें कर सकते हैं राम मंदिर पर कुर्बान', कुछ ऐसे दृढ़-संकल्प शक्ति वाले थे Kalyan Singh

लखनऊ: यूपी के पूर्व सीएम और BJP के कद्दावर नेता Kalyan Singh बीते शनिवार हमारे बीच नहीं रहे. 89 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. काफी संबे समय से वह बीमार चल रहे थे. लेकिन, कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में जो संकल्प लिया था, उसे पूरा होते देखने के बाद ही उन्होंने अपनी आंखें बंद कीं. उनका संकल्प था भव्य राम मंदिर को बनते देखने का. इसके लिए कल्याण सिंह ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. तेज तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुभारंभ जनसंघ के साथ मिलकर किया था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे कल्याण सिंह एक मजबूत नेता बन गए. इतने मजबूत की यूपी में बीजेपी की पहली सत्ता उनकी वजह से बनी. पार्टी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया. 

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साल 2014 में फिर हुआ कल्याण सिंह का उदय
लेकिन, बाबारी विध्वंस के बाद ही उन्हें सीएम का पद छोड़ना पड़ा. कल्याण सिंह करीब डेढ़ साल ही सीएम रह सके. बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने खुद ही सीएम पैड पर अपना इस्तीफा लिखकर पद छोड़ दिया. हालांकि, कल्याण सिंह फिर सूबे के मुख्मंत्री बने. बीच में ऐसा समय आया जब उनकी अटल बिहारी वाजपेयी से अनबन हो गई. इसके चलते उनके राजनीतिक करियर पर भी इसका असर पड़ा और कल्याण सिंह बीजेपी से अलग हो गए. दो बार कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी भी बनाई लेकिन वह नाम नहीं मिल सका, जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे. हालांकि, पीएम मोदी के आने के बाद कल्याण सिंह को फिर याद किया गया. साल 2014 में वे राजस्थान के राज्यपाल बने.

कारसेवकों पर नहीं चलने दी थीं गोलियां
कहा जाता है कि कल्याण सिंह एक स्पष्ट नेता थे और स्पष्टता से अपनी बात रखते थे. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी उन्होंने साफ कह दिया था कि सुरक्षा के सारे इंतजामात किए गए थे, लेकिन बतौर सीएम उन्होंने ही आदेश दिया था कि कारसेवकों पर गोली न चलाई जाए. 6 सितंबर 1992 को जो हुआ, उसकी पूरी जिम्मेदारी कल्याण सिंह खुद ली थी और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.

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राम मंदिर किसी धर्म का नहीं है, न ही यह वोट बैंक नहीं
बताया जाता है कि एक टीवी इंटरव्यू में कल्याण सिंह ने कहा था कि राम मंदिर के लिए एक क्या, 10 बार भी सरकारें कुर्बान करनी पड़ेंगी तो हम तैयार हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि राम मंदिर को हम किसी जाति, धर्म या राजनीति का नहीं मानते. न ही यह वोट बैंक का प्रश्न है. राम मंदिर राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है.

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