गौरव तिवारी/कासगंज: कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों जी शूकर क्षेत्र में हरि की पौड़ी पर अस्थि विसर्जन और पिंड दान करने के लिए कई राज्यों से लोग आते हैं. आपने इंसानों के अस्थि विसर्जन के बारे में सुना होगा, मान्यता है कि इससे आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन कासगंज से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां इंसान नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के मंदसौर से दो लोग अपने मृत बैलों की अस्थियों को विसर्जित करने पहुंचे.और बैलों को पिता मानकर पुत्र धर्म का पालन करते हुए अस्थियां विसर्जित कीं. इस नजारे को देखकर हर कोई हैरान रह गया. 26 दिसंबर यानी मंगलवार को वह 3000 लोगों को भोज कराया जाएगा. मामला लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.


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जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल मध्यप्रदेश के जिला मंदसौर के ग्राम बाग खेड़ा के रहने वाले किसान भवानी सिंह लगभग 30 वर्ष पहले दो बैल नामा और श्यामा को लेकर आए थे. इन बैलों से ही वह अपनी खेती बाड़ी किया करते थे. दोनों बैलों के सहारे ही भवानी सिंह के परिवार का भरण पोषण होता था.जिसके चलते भवानी सिंह इन बैलों को पिता मानते थे. 30 वर्षों तक इनके परिवार की सेवा करते करते इन दोनों बैलों ने 16 दिसंबर को बारी-बारी से अपने प्राण त्याग दिए.


पुरोहित पंडित उमेश पाठक ने बताया कि दूसरे किसान उल्फत सिंह आज से 8 वर्ष पहले बैल गाड़ी से जा रहे थे कि यह बैल गाड़ी सहित कुएं में गिर पड़े लेकिन इस घटना में दोनों बैलों की मौत हो गई थी, लेकिन उल्फत सिंह बच गए तभी से ये 8 वर्षों से अपने बैलों की अस्थियों को रखे हुए थे. आज इन्होंने भी अपने बैलों की अस्थियों का विसर्जन किया. किसान भवानी सिंह ने बताया कि अस्थियों के विसर्जन के बाद गांव जाकर आने वाली 26 दिसंबर को लगभग 3000 लोगों को भोज भी कराएंगे. फिलहाल पूरा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.