Farmers Protest Delhi chalo call : किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्‍ली कूच करने का ऐलान किया है. किसान संगठनों के इस ऐलान के बाद यूपी बार्डर सहित दिल्‍ली की सभी सीमाओं पर किलेबंदी कर दी गई है. सीमाओं पर अगले दो दिनों के लिए आवागमन में बदलाव किया गया है. इसके अलावा सीमाओं पर कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछाने वाले नुकीले तार भी लगाए जा रहे हैं. 


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दिल्‍ली सीमा पर धारा 144 लागू 
राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में रविवार को धारा 144 लागू कर दी गई. दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर के आसपास भी ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है. अगर आप गाजीपुर बॉर्डर होकर गाजियाबाद, लालकुआं होकर यूपी के अन्य जिलों में जा रहे हैं तो इन रास्तों का प्रयोग करें. 


यूपी में ऐसे करें प्रवेश 
अक्षरधाम मंदिर के सामने पुश्ता रोड, पटपड़गंज रोड/मदर डेयरी रोड या चौधरी चरण सिंह मार्ग आईएसबीटी आनंद विहार और यूपी गाजियाबाद में महाराजपुर या अप्सरा बॉर्डर से बाहर निकलें. डाबर चौक- मोहन नगर- गाजियाबाद- हापुड़ रोड- जीटी रोड दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे- डासना- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे राय कट पर बाएं मुड़ें और NH 44 पर पहुंचे. 


सिंधु बार्डर पर भी धारा 144 लागू 
किसानों के दिल्‍ली कूच को लेकर सिंधु बॉर्डर पर भी धारा-144 लागू की गई है. किसी तरह की भीड़ जुटाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. साथ ही बॉर्डर पर कंटीले तार, क्रेन और लोहे की कीलें लगाई जा रही हैं. ड्रोन से निगरानी की जाएगी. 


ये हैं किसानों की मांग
इस बार किसान अपनी 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया है. इसमें सरकार सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून बनाए. सरकार भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 को फिर से लागू करे. कलेक्टर दर से चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाए. सरकार किसानों और मजदूरों की संपूर्ण कर्जमाफी के लिए योजना लाए.  


नकली बीज बनाने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाए 
साथ ही नकली बीज, कीटनाशक और खाद बनाने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जाए और बीज की क्वालिटी में सुधार हो. लखीमपुर खीरी में हुए किसानों के नरसंहार के अपराधियों को सजा दी जाए. विश्व व्यापार संगठन से हटें और सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर बैन लगे. किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए सरकार पेंशन की व्यवस्था करे.  


मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन
इसके अलावा मिर्च और हल्दी समेत अन्य मसालों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए. बीते किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनके परिवार को एक नौकरी और मुआवजा दिया जाए. कंपनियों को आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित करने से रोका जाए. जल, जंगल और जमीन पर मूलवासियों का अधिकार सुनिश्चित किया जाए.


हर साल 200 दिन का रोजगार 
मनरेगा को खेती से जोड़कर हर साल 200 दिन का रोजगार दिया जाए और के तहत 700 रुपये की प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए. सरकार बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को तुरंत प्रभाव से रद्द करे.