नई दिल्ली: भारत में कई जगह रहस्यों से भरी हुई हैं. इनके पीछे ऐसी बहुत सी रहस्यमयी बातें छिपी हुई हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इन्हीं में से एक जगह है उत्तराखंड की वादियों में बसा भारत का आखिरी गांव. ये चीन की सीमा से लगा हुआ है. ये रहस्यमय गुफा उत्तराखंड के माणा गांव में है. हम आपको इस रिपोर्ट में  बताएंगे एक गुफा के बारे में जिसका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. ये गुफा रहस्यों से भरी हुई है.


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इस गांव में आने से खुल जाते हैं भाग्य
उत्तराखंड के इस गांव के बारे में कहा जाता है कि जो भी यहां पर आता है उसके भाग्य खुल जाते हैं. उनकी गरीबी दूर हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस गांव को भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद है. यही कारण है कि यहां पर हर साल बड़ी तादात में लोग इस गांव में अपने पाप धोने के लिए आते हैं.


पांडवों के स्वर्ग जाते समय महाबली भीम ने बनाया था पुल
माणा गांव में महाभारत काल का बना हुए एक पुल भी है जिसे भीम पुल के नाम से भी जाना जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि जब पांडव इस गांव से होते हुए स्वर्ग की तरफ जा रहे थे, तो पांडवों ने यहां पर मौजूद मां सरस्वती से आगे जाने का रास्ता मांगा था. जिसके बाद मां ने रास्ता देने से मना कर दिया था. तब बलशाली भीम ने दो बड़ी-बड़ी चट्टानों को उठाकर नदी के ऊपर रख दिया और अपने जाने के लिए रास्ता बनाया. इसके बाद पुल को पार करके पांडवों ने स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया था.


महर्षि वेद व्यास ने इसी गुफा में की महाकाव्य की रचना
रहस्यों से भरी इस गुफा को 'व्यास गुफा' के नाम से जाना जाता है. वैसे तो ये एक छोटी सी गुफा है, लेकिन इसके बारे में कहा जाता है कि हजारों साल पहले महर्षि वेद व्यास ने इसी गुफा में रहकर वेदों और पुराणों का संकलन किया था. ऐसी मान्यता है कि इसी गुफा में वेद व्यास ने भगवान गणेश की सहायता से महाकाव्य महाभारत की रचना की थी. ऐसा भी कहा जाता है कि जब व्यास महाभारत लिख रहे थे तब सरस्वती नदी के शोर से बाधा पैदा हो रही थी, तब गणेश जी ने मां से प्रार्थना की थी कि वो अपना शोर कम कर लें. मां सरस्वती ने ऐसा नहीं किया. तो भगवान गणेश ने गुस्से में आकर उनको शाप दिया कि तुम आगे से किसी को भी दिखाई नहीं दोगी. 


पत्थर के इन रहस्यमय पन्नों को 'व्यास पोथी' के नाम से जानती है दुनिया
वेद व्यास गुफा अपनी अनोखी छत को लेकर भी पूरी दुनिया में चर्चित है. इस छत को देखने पर ऐसा लगता है, जैसे बहुत से पन्नों को एक के ऊपर एक रखा गया है. इसी छत को लेकर भी कई धारणाएं हैं. मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के वो पन्ने लिखवाए तो थे, लेकिन उसे उस महाकाव्य में शामिल नहीं किया और उन्होंने उन पन्नों को अपनी शक्ति से पत्थर में बदल दिया था. दुनिया पत्थर के इन रहस्यमय पन्नों को 'व्यास पोथी' के नाम से जानती है. पहली नजर में तो व्यास गुफा की छत ऐसी ही लगती है, जैसे उस पर कोई बहुत बड़ी किताब रखी हुई है.


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