उन्होंने कहा कि जिन देशों को ओलंपिक में अधिक पदक मिलते हैं, माना जाता है कि उन देशों में तरक्की हो रही है.
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आगरा: कोरोना संक्रमण से जूझ रहे फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर में मशहूर मिल्खा सिंह का शुक्रवार को निधन हो गया. उनके निधन से देश और दुनिया के खेल प्रेमियों में शोक की लहर है. लोग उनके किस्सों को याद कर भावुक हो रहे हैं. कुछ ऐसा ही नजारा आगरा का भी है, जहां उन्हें करीब से देखने वाले लोग याद कर भावुक हो गए.
मिल्खा सिंह को चाहने वाले देश-दुनिया में हैं. वहां जहां जाते उन्हें देखने के लिए लोगों हुजूम उमड़ पड़ता. कुछ ऐसा ही नजारा आगरा में 15 फरवरी, 2016 को देखने को मिला. जब मिल्खा सिंह सिकंदरा स्थित अकबर टूम (मकबरा) में 21 किलोमीटर की हाफ मैराथन का शुभारंभ करने ताजनगरी आए. उन्हें देखने के लिए स्मारक परिसर खचाखच भर गया. जहां मिल्खा सिंह के भावुक संबोधन ने सबका दिल जीत लिया.
उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा कि उनकी ख्वाहिश है कि उनके जीवित रहते भारतीय एथलीट ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतें. साथ ही खिलाड़ियों को अच्छे प्रशिक्षिण के साथ बढ़िया कोच मिलने चाहिए. एथलेटिक्स विश्व का नंबर वन गेम है. जिन देशों को ओलंपिक में अधिक पदक मिलते हैं, माना जाता है कि उन देशों में तरक्की हो रही है.
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चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक हासिल किया था. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था, जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे. उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
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