आज के समय में कुछ लोग नौकरी के अभाव में खेती कर रहे हैं या फिर शौक से खेती कर रहे हैं. लेकिन परंपरागत खेती करने से किसानों को अब वह लाभ नहीं मिल रहा है, जो एक समय में किसानी करने वाले बुजुर्ग बताते हैं. आज के समय में खाद के जगह पर इस्तेमाल होने वाले जैविक खादों में इतना ज्यादा केमिकल रहता है कि वह खेत की मिट्टी को प्रदुषित कर देते हैं. ऐसे में आज हम आपको बदलते दौर के नये खेती और उनके तौर तरीको के बारे में बताएंगे.
किसान परंपरागत खेती से सिर्फ अपने सालभर के खाने भर के अनाज की उपज कर पा रहे हैं. ऐसे में जो किसान नौकरी नहीं करता उसके लिए आमदनी का स्रोत नहीं कुछ तो होना चाहिए.
गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि धान और गेहूं की खेती के बदौलत हमारा घर नहीं चल पा रहा था. फिर हमने गेंदे की फूल की खेती करनी शुरू की गेंदे की फूल की खेती करने से एक तो गांव के आसपास का वातावरण भी सुगंधित रहता है. ऊपर से कमाई भी अच्छी हो जाती है.
किसान बताते है कि गेंदे के फूल की खेती 60 दिन की होती है. हर चौथे दिन फूल की तूड़ाई की जाती है. बीघा पीछे हर सीजन में 40 से 50 हजार रुपये की बचत हो जाती है. फूलों की कमाई से अनाज भी आ जाता है. घर का खर्चा भी चल जाता है.
गेंदे के फूल के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि यह साल में तीन से चार बार आप इसकी खेती कर सकते हैं. यह खेती कम लागत में शानदार लाभ देती है.
गेंदे के फूल की खेती की सबसे बड़ी बात यह है कि इसका खेती करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है. जिससे किसानों को दोहरा फायदा मिलता है.
ठंड के समय गेंदे के फूल की कीमत 70 रुपये प्रति किलों से भी ज्यादा हो जाती है. ऐसे में आप यदि आधा एकड़ भी गेंदे के फूल की खेती करते हैं, तो आराम से एक बार तोड़ने पर 1.2 क्विंटल से लेकर 2 क्विंटल तक निकल जाएगा.