World soil day 2023:आज है विश्व मिट्टी दिवस, जानें क्यो और कैसे हुई इस दिन की शुरुआत

World soil day 2023: हर साल 5 दिसंबर को खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा विश्व मृदा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के तहत संचालित संगठन अंतरराष्ट्रीय संगठन मृदा दिवस के रूप में मनाते हैं. मृदा को मिट्टी कहते हैं. भारत के लोगों का मिट्टी से बहुत पुराना नाता है. भारतीयों का मिट्टी से मां की भावना है. हमारे देश में मिट्टी देश प्रेम से ताल्लुक रखती है. दुनियाभर में मिट्टी एक जरूरी प्राकृतिक संपदा हैं. जिसपर अघात होने पर हमारा जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है.

Dec 05, 2023, 18:19 PM IST
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उद्देश्य

लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाते हैं. इसका उद्देश्य मिट्टी के प्रदुषण के बारे में सबको बताना. मिट्टी प्रदुषण एक गंम्भीर पर्यावरण समस्या है.

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गिरावट

मिट्टी प्रदुषण से मिट्टी की स्थिति में गिरावट आती है. मिट्टी सभी के लिए बेहद उपयोगी है. चाहे वह इंसान हो या फिर कोई जानवर हो. सभी के उन्नत के लिए मिट्टी का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. लेकिन उद्योगों के लिए पर्यावरण मानकों के प्रति कृषि भूमि के कुप्रबंधन के वजह से हमारी मिट्टी की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. 

 

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थीम क्या है

यूएन के मुताबिक विश्व मृदा दिवस 2023 का थीम 'मिट्टी और पानी, जीवन का एक स्त्रोत. हमारा 95 प्रतिशत से ज्यादा भोजन इन दो मूलभूत संसाधनों से उत्पन्न होता है. आज के समय में जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधि के कारण हमारी मिट्टी खराब हो रही है. 

 

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पहली बार कब मनाया गया था

मिट्टी दिवस को मनाने की पहली बार सिफारिश साल 2002 में किया गया था. बाद में साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक की और इस दौरान सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस मनाने की घोषणा की गई. इसी दिन मृदा दिवस मनाने के लिए संकल्प भा पारित किया गया. 

 

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विश्व मृदा दिवस को मनाने की मांग उठने के पीछे मिट्टी की जरूरत और उसके महत्व को समझना बहुत जरूरी है. इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य मिट्टी संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना है. 

 

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जमीन पर रहने वाले जीवों के लिए मिट्टी बहुत खास महत्व रखती है. मिट्टी से कई तरह के खनिज पर्दाथ, मिट्टी से ही उन्हें भोजन और जीवन जीने के लिए जरूरी चीजें मिलती है. 

 

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मिट्टी के बढ़ते प्रदुषण को पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए भारत में लगभग 45 वर्ष पूर्व मिट्टी बचाओं आंदोलन की शुरुआत की गई थी. इसका उद्देश्य लोगों को मृदा संरक्षण और उसके टिकाऊ प्रबंधन की ओर सबका ध्यान लाना था.

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