स्वतंत्र भारत की राजनीति और चिंतन धारा पर जिन गिने-चुने लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है, उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया प्रमुख रहे. भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है.
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आज दिग्गज समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया (Dr. Ram Manohar Lohia) की जयंती है. तमाम नेता-राजनेता उनको याद कर रहे हैं. डॉ लोहिया की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Modi) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) ने उनको नमन करते हुए सादर श्रद्धांजलि दी.
पीएम मोदी ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को नमन करते हुए लिखा- महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर सादर श्रद्धांजलि. उन्होंने अपने प्रखर और प्रगतिशील विचारों से देश को नई दिशा देने का कार्य किया. राष्ट्र के लिए उनका योगदान देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा.
महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर सादर श्रद्धांजलि। उन्होंने अपने प्रखर और प्रगतिशील विचारों से देश को नई दिशा देने का कार्य किया। राष्ट्र के लिए उनका योगदान देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2021
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Cm योगी ने डॉ लोहिया को सादर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा- महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, प्रखर समाजवादी चिंतक, लोकप्रिय राजनेता, समतामूलक एवं प्रगतिशील समाज की स्थापना के प्रबल पैरोकार, लोकतंत्र के सशक्तिकरण हेतु आजीवन समर्पित डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर कोटिशः श्रद्धांजलि.
महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, प्रखर समाजवादी चिंतक, लोकप्रिय राजनेता, समतामूलक एवं प्रगतिशील समाज की स्थापना के प्रबल पैरोकार, लोकतंत्र के सशक्तिकरण हेतु आजीवन समर्पित डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर कोटिशः श्रद्धांजलि।
— Yogi Adityanath myogiadityanath) March 23, 2021
यूपी के पुर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी डॉक्टर लोहिया की जन्म जयंती पर नमन किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा- समाजवादी आंदोलन के शिखर पुरुष, महान चिंतक एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ॰ राममनोहर लोहिया जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन! समाजवादी मूल्यों के लिए सपा सदैव संकल्पित रही है और रहेगी.
समाजवादी आंदोलन के शिखर पुरुष, महान चिंतक एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ॰ राममनोहर लोहिया जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!
समाजवादी मूल्यों के लिए सपा सदैव संकल्पित रही है और रहेगी। pic.twitter.com/Sc46kGGcAC
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 23, 2021
विरोधियों के बीच था अपार सम्मान
राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को फैजाबाद में हुआ था. उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक और सच्चे राष्ट्रभक्त थे. राम मनोहर लोहिया ने देश की राजनीति में भावी बदलाव की बयार आजादी से पहले ही ला दी थी. उनके पिताजी गांधीजी के अनुयायी थे. राम मनोहर लोहिया ने अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के बीच भी अपार सम्मान हासिल किया. देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया.
भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में बड़ी भूमिका
स्वतंत्र भारत की राजनीति और चिंतन धारा पर जिन गिने-चुने लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है, उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण प्रमुख रहे हैं. भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है. डॉ. लोहिया भारतीय राजनीति के संभवतः अकेले ऐसे नेता थे, जिनके पास इसको लेकर एक सुविचारित सिद्धांत था. वे हर हाल में शहादत दिवसों को जयंतियों पर तरजीह देने के पक्ष में थे.
नहीं मनाते थे अपना जन्मदिन
शहीदे आजम भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को लोहिया जयंती के दिन ही फांसी पर चढ़ाने के कारण डॉक्टर साहब ने मृत्यु तक अपने जन्मदिन को नही मनाया. लोहिया ने अपने साथियों को भी कहा था कि मेरे जन्मदिन के ही दिन भारत मां के तीन सपुतों की अंग्रेजों ने फांसी लगाकर हत्या की हैं इसलिए अब आज से 23 मार्च को कभी भी मेरा जन्मदिन नहीं मनाया जायेगा! अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी उसे मनाने से मना कर दिया था. कोई बहुत आग्रह करता तो उससे साफ कह देते थे कि अब 23 मार्च सरदार भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव का शहादत दिवस है और उसे उसी रूप में याद किया जाना चाहिए.
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