कानपुर: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) के पहले चरण की वोटिंग जारी है. ऐसे में कानपुर में भी 826 वोटिंग सेंटर्स पर मतदाता लाइन लगाकर मतदान कर रहे हैं. बाकी गांवों के लिए तो ये सामान्य स्थिति है, लेकिन बिकरु गांव के लिए ये 25 साल बाद यहां लोकतंत्र की लहर आई है. 


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विकास दुबे किसी को भी जिता देता था चुनाव
आपको याद होगा बिकरु वह गांव है जहां कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे रहता था. बताया जाता है, 25 साल तक विकास दुबे अपने मन किसी को भी चुनाव जिता देता था और उसका कोई विरोध नहीं कर सकता था. लेकिन अब बिकरु से विकास दुबे का खौफ खत्म हो चुका है और ग्रामीण लोकतंत्र के तहत लाइन लगाकर मतदान कर रहे हैं. यहां के प्राइमरी स्कूल में वोटिंग सेंटर बनाया गया है, जहां लोगों की लाइन लगी हुई है.


ड्रोन से रखी जा रही है नजर
पुलिस बिकरु में लगातार नजर बनाए रखे है. जहां, 1500 लोग पाबंदित किए गए हैं, वहीं गांव के सभी हथियार भी जमा कर लिए गए हैं. इसके अलावा ड्रोन से गांव पर नजर रखी जा रही है. 


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विकास दुबे का परिवार ही जीतता था चुनाव
10 जुलाई 2020 को यूपी एसटीएफ के हाथों विकास दुबे मारा गया था. लोग बताते हैं कि विकास दुबे की मर्जी के बिना गांव में कोई पंचायत चुनाव में उतरने की सोच भी नहीं सकता था. केवल विकास दुबे के इशारों पर ही लोग पर्चा दाखिल करते थे और सिर्फ वही चुनाव लड़ सकता था. 25 साल तक गांव में ऐसे ही खौफ का माहौल बना रहा. ज्यादातर विकास दुबे के परिवार के लोग ही निर्विरोध चुनाव जीतते थे. 


नौकर की पत्नी को भी बनवाया था प्रधान
कई बार देखा गया कि बिकरु में विकास दुबे तो चुनाव जीतता ही था. उसके अलावा, उसने भाई की पत्नी और नौकर की पत्नी को भी प्रधान बनवाया था. लेकिन इस बार गांव में ऐसा कोई डर नहीं है. यहां पर लोग बिना खौफ के वोट डालने आ रहे हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि जनता द्वारा चुना गया प्रत्याशी ही जीतेगा.


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जहां विकास दुबे या उसके गुर्गों के खिलाफ कोई खड़ा तक नहीं होता था, वहां आज 10 प्रधान प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. साथ ही, जनता भी वोटिंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. 


यहां जानिए क्या था बिकरु कांड
2 और 3 जुलाई 2020 की आधी रात वह खौफनाक रात थी जब अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था. मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसके बाद से विकास दुबे फरार चल रहा था. एक हफ्ते बाद 10 जुलाई 2020 को जब विकास दुबे को पकड़कर वापस लाया जा रहा था तो उसने भागने की कोशिश की और इसी एनकाउंटर में पुलिस की ताबड़तोड़ फायरिंग में वह मार गिराया गया. 


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