नई दिल्ली: एक बार फिर से उत्तराखंड ने ग्रीन बोनस की अपनी मांग को केन्द्र के समक्ष मजबूत तरीके से उठाया है. दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य की ईको सिस्टम सर्विस के बदले प्रोत्साहन राशि दिए जाने की मांग की. बैठक में मुख्यमंत्री ने अलग-अलग विषयों पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य द्वारा अपने दो-तिहाई भू-भाग पर वनों का संरक्षण सुनिश्चित करके राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवाएं (ईको-सिस्टम सर्विसेज) दी जा रही हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इन पर्यावरणीय सेवाओं के लिए राज्य की विकास योजनाएं पूरी तरीके से प्रभावित हो रही हैं. लिहाजा केन्द्र सरकार इसकी क्षतिपूर्ति या प्रोत्साहन के तौर पर राज्य को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाए. दरअसल, पिछले लंबे समय से राज्य ग्रीन बोनस की मांग करता आया है. इसके पीछे ठोस वजह है कि पर्यावरणीय कारणों के चलते राज्य में कई विकास योजनाएं नहीं बन पा रही है. खास तौर से जलविद्युत परियोजनाओं पर तो इसका सीधा असर पड़ता है. लिहाजा सरकार केन्द्र से क्षतिपूर्ति के तौर पर आर्थिक सहयोग की मांग कर रही है. 


इसके साथ ही सीएम ने राज्य की परम्परागत फसलों को बढ़ावा देने के लिए सुझाव दिया कि मिड-डे-मील में चावल एवं गेहूं के अतिरिक्त राज्यों की परम्परागत फसलें जैसे मंडुवा, झिगौरा को शामिल करना चाहिए. हिमालयी राज्यों की विशिष्ट भू-भौगोलिक परिस्थितियों पर विचार करने तथा इनकी कठिनाइयों के सम्यक समाधान के लिए नीति आयोग के अन्तर्गत हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल का गठन किए जाने पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार जताया. इसके साथ ही केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, चारधाम महामार्ग परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के लिए भी उत्तराखण्ड की तरफ से पीएम को धन्यवाद दिया.


इन्वेस्टर्स समिट के बाद उत्तराखण्ड में अभी तक 14545 करोड़ का निवेश : सीएम 
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नीति आयोग के समक्ष इन्वेस्टर्स समिट से जुड़े आंकड़े पेश करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अक्टूबर 2018 में पहली बार निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई नीतियों बनाई गईं. सीएम ने बताया कि अब तक कुल 600 एमओयू जिनकी लागत 1 लाख 24 हजार करोड़ है, हस्ताक्षरित किये जा चुके हैं. वहीं, अब तक कुल 109 एमओयू के सापेक्ष 14 हजार 545 करोड़ का निवेश हो चुका है.


सीमावर्ती क्षेत्रों में रोड, रेल व एयर कनेक्टिविटी को विकसित करने पर जोर
उत्तराखण्ड राज्य की अन्तर्राष्ट्रीय सीमाएं चीन व नेपाल से लगी हैं. सीमावर्ती एवं दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से पलायन राज्य सरकार के सामने गंभीर चुनौती है. इसके लिए अवस्थापना सुविधाएं जैसे कि सड़क, पानी, बिजली एवं विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए निवेश करने की जरुरत है. इन सीमान्त क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी के साथ रेल व एयर कनेक्टिविटी को भी विकसित करना होगा. सीएम ने नीति आयोग के समक्ष राज्य का पक्ष रखते हुए इस बात पर जोर दिया कि सीमांत क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और विकसित की जानी चाहिेए.