Live In Relationship New Guidelines: लिव-इन रिलेशनशिप वाले हो जाएं सावधान, रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो देना होगा भारी जुर्माना या होगी जेल
UCC Live In Relationship New Guidelines: मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मंगलवार 6 जनवरी 2024 को समान नागरिक संहिता का बिल विधानसभा में पेश कर दिया. इस विधेयक में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कई नियमों में बदलाव किया गया है. जानें क्यों लिव इन वालों को सावधान होने की जरूरत है?....
Dehradun: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए मंगलवार 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता से संबंधिक विधेयक को विधानसभा में पेश कर दिया है. सत्ता पक्ष के विधायकों ने वंदे मातरम और जय श्री राम" के नारों के साथ अपना समर्थन दिया. विपक्षी विधायकों के द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है. समान नागरिक संहिता कानून बनने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए कई नियम बदल दिए गए हैं. यहां जानें क्या है वो नियम?....
खबर विस्तार से-
समान नागरिक संहिता के कानून बनने के बाद उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या रहने की प्लानिंग करने वाले लोगों को जिला अधिकारियों के पास जाकर पंजीकृत करना होगा. वहीं, साथ में रहने की इच्छा रखने वाले 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी. ऐसे रिश्तों का अनिवार्य पंजीकरण उन व्यक्तियों पर लागू होगा, जो "उत्तराखंड के किसी भी निवासी. राज्य के बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में हैं.
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इस बिल में यह भी प्रस्ताव है कि लिव-इन रिलेशनशिप उन मामलों में पंजीकृत नहीं किए जाएंगे, जो "नैतिकता के विरुद्ध" हैं. यदि एक साथी विवाहित है या किसी अन्य रिश्ते में है, यदि एक साथी नाबालिग है, और यदि एक साथी की सहमति "जबरदस्ती, धोखाधड़ी" द्वारा प्राप्त की गई थी, या गलत बयानी (पहचान के संबंध में) की गई है, तो पंजीकृत नहीं किया जाएगा.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट तैयार की जा रही है, जिसे जिला रजिस्ट्रार से सत्यापित किया जाएगा, जो रिश्ते की वैधता स्थापित करने के लिए "जांच" करेगा. ऐसा करने के लिए, वह किसी एक या दोनों साझेदारों या किसी अन्य को मिलने के लिए बुला सकता है.
महिला और बच्चे को मिलेगा अधिकार
लिव इन रिलेशन को शादी की तरह सुरक्षित बनाने के लिए महिला और संबंध से पैदा हुए बच्चे को पुरुष की संपत्ति में अधिकार दिया जाएगा. यदि किसी महिला को पुरुष पार्टनर छोड़ देता है तो वह भरण-पोषण की मांग के लिए कोर्ट में अपना दावा पेश कर सकती है. लिव इन से पैदा हुआ बच्चा वैध होगा। यानी शादी के बाद पैदा हुए बच्चे की तरह ही जैविक पिता को उसका भरण-पोषण करना होगा और संपत्ति में अधिकार भी देना होगा.
ऐसे लोगों को मिलेगी सजा
लिव इन रिलेशन बनने के एक महीने के भीतर इसे रजिस्टर नहीं कराने या फिर झूठे वादे करके धोखा देने पर सजा का प्रावधान भी होगा. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 महीने तक की जेल हो सकती है. लिव इन पार्टनर यदि रजिस्ट्रेशन के समय गलत जानकारी देते हैं या बाद में कोई सूचना गलत पाई जाती है तो कानून कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.