Uniform Civil Code Timeline: सीएम पुष्कर धामी की सरकार मंगलवार 06 फरवरी 2024 को विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश करने वाली है. विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. इस विधेयक को लेकर सभी ओर चर्चाएं हो रही है. आइए जानते हैं कि समान नागरिक संहिता क्या है. क्यों सरकार इसको लागू करना चाहती है औऱ इसके लागू होने के बाद क्या प्रभाव पडेगा. आगे जानें समान नागरिक संहिता की पूरी टाइमलाइन....
- समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड का मुद्दा लंबे समय से बहस का केंद्र रहा है. भाजपा के एजेंडे में भी यह शामिल रहा है. पार्टी जोर देती रही है कि इसे लेकर संसद में कानून बनाया जाए. भाजपा के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह शामिल था. उत्तराखंड की बात करें तो यहां 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्र में रखा था.
- उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 12 फरवरी 2022 को पिछली सरकार में समान नागरिक संहिता बिल लाने का संकल्प लिया और औपचारिक तौर पर ऐसा कानून लाने का निर्णय किया.
- पुष्कर सिंह धामी की दूसरी बार सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में 24 मार्च 2022 में यूसीसी पर समिति का गठन पर मुहर लगी.
- सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में कमेठी का गठन 27 मई 2022 को किया गया. उसे समान नागरिक संहिता बिल पर सभी संबंधित पक्षों औऱ हितधारकों से चर्चा कर सुझाव देने को कहा गया.
- उत्तराखंड में धामी सरकार ने जून 2022 को समान नागरिक संहिता को लेकर एक अधिसूचना जारी की. समिति को औपचारिक तौर पर काम करने की मंजूरी मिली.
- जुलाई 2022 को सरकार द्वारा गठित रंजना प्रकाश देसाई समिति की पहली बैठक दिल्ली में रखी गई थी. इसके ठीक एक साल बाद जुलाई 2023 को सुझावों के बाद प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया.
- यूनिफॉर्म सिविल कोड की मसौदा रिपोर्ट देसाई समिति ने 2 फरवरी 2024 को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. 740 पेजों की यह रिपोर्ट चार खंडों में थी.
- उत्तराखंड विधानसभा में 5 फरवरी को समान नागरिक संहिता बिल पेश किया गया. दो दिन इस विधेयक पर विधानसभा में चर्चा की गई.
- 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया. यह विधेयक अब राज्यपाल की मंजूरी के लिए जाएगा. राज्यपाल की स्वीकृति के बाद यह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा.
- दो लाख से ज्यादा सुझाव आम जनता से समान नागरिक संहिता से जुड़ी समिति को मिले. समिति ने करीब डेढ़ साल तक लंबे विचार विमर्श और तमाम धर्म के लोगों की आपत्तियों और सुझावों को इसमें शामिल किया.
- उत्तराखंड में यूसीसी से विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना जैसे मामलों में एक समान कानून होगा. यानी हिन्दू, मुस्लिम, सिख-ईसाई या किसी भी धर्म संप्रदाय के लोग इसके दायरे में होंगे. सिर्फ कुछ जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया.
- उत्तराखंड में हिन्दुओं की आबादी करीब 83 फीसदी है. मुस्लिम जनसंख्या 14 फीसदी और सिख 2.34 प्रतिशत औऱ 0.37 प्रतिशत ईसाई हैं. कुछ जनजातियां भी उत्तराखंड में निवास करती हैं.
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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कब क्या- क्या.