Gandhi Jayanti 2024: यूपी और उत्तराखंड की ऐसी पांच शख्सियत जो आजादी के आंदोलन में गांधी जी के साथ खड़ी रहीं, जानिए

Gandhi Jayanti: आइए जानें यूपी और उत्तराखंड की ऐसी पांच शख्सियत के बारे में जिन्होंने आजादी की लड़ाई के आंदोलन में गांधी जी (Gandhi Jayanti 2024 Wishez) का साथ दिया.

पद्मा श्री शुभम् Tue, 01 Oct 2024-5:41 pm,
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सुचेता कृपलानी

भारत विभाजन के समय के दंगों में भी सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कार्य किया था और उन महिलाओं में शामिल हैं जिन महिलाओं ने बापू के करीब रहकर आजादी की नींव रखी. वह नोवाखली यात्रा में बापू के साथ रहीं. कुल मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में सुचेता कृपलानी जी का अविस्मरणीय योगदान रहा है.

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कृपलानी ने स्वाधीनता आंदोलन में कदम रखा

अक्टूबर, 1963 में स्वतंत्र भारत के किसी प्रदेश की और उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं सुचेता कृपलानी मुख्यमंत्री बनने से पहले स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के साथ साथ चलीं. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की कृपलानी समर्थक रहीं. महात्मा गांधी से प्रभावित होकर कृपलानी ने स्वाधीनता आंदोलन में कदम रखा,

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सरोजनी नायडू

महात्मा गांधी से सरोजनी नायडू की पहली मुलाकात 1914 में इंग्लैंड में हुई. सरोजिनी नायडू के दमदार वाककौशल की वजह से 1925 के कानपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष बनाया गया. वे इस उपलब्धि को पाने वाली दूसरी और भारत की पहली महिला थीं. गांधी जी की हर आंदोलन में उन्होंने भाग लिया और आंदोलनों के महिला मोर्चों की अगुआई की. 

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नमक सत्याग्रह में महिलाओं की भागीदारी

नमक सत्याग्रह में महिलाओं की भागीदारी के लिए सरोजनी नायडू ने ही गांधी जी को मनाया था. 1930 में दांडी तक नमक मार्च के बाद गांधीजी को गिरफ्तारी पर धरसाना सत्याग्रह का नेतृत्व भी सरोजनी नायडू ने ही किया. स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के कारण 1930, 1932 और 1942 में कई दफा उनको जेल जाना पड़ा. स्वतंत्रता आंदोलन के समय में सरोजनी नायडू महिलाओं की एक प्रभावी आवाज बनी. 

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गोविंद बल्लभ पंत

अल्मोड़ा जनपद के खूंट गांव  में 10 सितंबर 1887 में जन्मे गोविंद बल्लभ पंत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे. महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को गोविंद बल्लभ पंत अपनी आत्मिक ऊर्जा का स्रोत मानते थे और एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के तौर पर देश के लिए काम करते हुए जेल की यात्रा भी की.

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साइमन कमीशन बहिष्कार

साइमन कमीशन बहिष्कार और गांधी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी गोविंद बल्लभ पंत ने बढ़चढ़कर भाग लिया, इसके कारण उन्हें मई 1930 में देहरादून जेल भी जाना पड़ा. देश आजाद होने के बाद 26 जनवरी, 1950 को पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. इसेक अलावा देश के गृह मंत्री का भी उन्हें जिम्मा दिया जा गया.

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मदन मोहन मालवीय

प्रख्यात शिक्षाविद्, राजनेता, महान देशभक्त, वक्ता, सुविख्यात पत्रकार व समाज सुधारक पंडित मदन मोहन मालवीय  25 दिसम्बर 1861 को जन्में. मालवीय जी के बारे में कहते हैं कि उन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रीयता की नींव रखी थी. महात्मा गांधी के मन में मालवीय के लिए बहुत सम्मान था वो बात और है कि वैचारिक रूप से दोनों में दूरी थी. 

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महामना की उपाधि

मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि महात्मा गांधी ने ही दी थी. गांधी जी उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे. सत्यमेव जयते को मदन मोहन मोहन मालवीय ने ही लोकप्रिय बनाया और आगे चलकर राष्ट्रीय आदर्श वाक्य के तौर पर इसे रखा गया. इसे राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित किया जाने लगा. 

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कब हुई दोनों की पहली मुलाकात

27 साल के जवाहरलाल नेहरू इलाहबाद से लखनऊ रेलवे स्टेशन पर 26 दिसंबर 1916 को पहुंचे जहां पर चारबाग स्टेशन के सामने 47 साल के गांधी जी से उनकी पहली मुलाकात हुई जो अहमदाबाद से लखनऊ आए थे. कांग्रसे के उस लखनऊ अधिवेशन में ही गांधी जी नेहरू की मुलाकात हुई थी.

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आजादी के आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू और गांधी साथ साथ जुटे रहे. 1920 में  नेहरू असहयोग आंदोलन में बड़े सक्रिय रहे और जेल भी गए. जब चौरी चौरा घटना की वजह से आंदोलन को गांधी जी ने रद्द किया था तब भी देशभर में उनके विरोध के बावजूद नेहरू पूरी तरह से गांधी जी के साथ थे.

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