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गोरखपुर से प्रयागराज तक छा गई यूपी की ये योजना, घरेलू उत्पादों को मिला बड़ा बाजार

यूपी में सीएम योगी की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना हैं. एक जनपद-एक उत्पाद, इस योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के सभी जिलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ता चाहते हैं. वह प्रदेश के प्रत्येक जिला को एक प्रोडक्ट के माध्यम से देशभर में पहचान दिलाना चाहते हैं. इसी कड़ी में आपको बताते हैं कि प्रदेश के कौन से जिले का कौन प्रोडक्ट प्रसिद्ध है.  

गोरखपुर

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 गोरखपुर

सीएम सीटी के नाम से मशहूर गोरखपुर अपने विशेष तरह के शिल्पकारी के वजह से फेमस है. गोरखपुर टेराकोटा जो एक अनोखे और विशेष प्रकार का सिरेमिक शिल्प है. मुख्य रूप से मिट्टी से बने बर्तन और मूर्ति से संबंधित हैं.

 

प्रयागराज

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प्रयागराज

संगम नगरी प्रयागराज एक जनपद-एक उत्पाद में मूंज से बनी टोकरी ( दलिया) के लिए प्रसिद्ध हैं. पर्यावरण के अनुकूल मूंज उत्पादों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.

 

देवरिया

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देवरिया

प्रदेश में देवभूमि के नाम से मशहूर देवरिया होम फरनिशिंग के समानों की बुनाई कढ़ाई करने के लिए फेमस है. सुंदर फ़ानूस, पर्दे, झालर इत्यादि में देवरिया का कोई सानी नहीं है.

 

बलिया

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 बलिया

अपनी बगावत अंदाज के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध बागी बलिया के मनियर ब्लॉक में बिंदी उद्योग सक्रिय है. यहां अनेक बिंदी कुटीर उद्योग कई वर्षों से संचालित है.

 

आजमगढ़

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आजमगढ़

एक जनपद-एक उत्पाद के अंतर्गत आजमगढ़ अपने ब्लैक पॉटरी के लिए पूरे देशभर में प्रसिद्ध है. आजमगढ़ में सिल्क साड़ी का भी बड़े स्तर पर उत्पाद किया जाता है.   

मऊ

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मऊ

मऊ में हाथ से साड़ी बनाई जाती है. यहां उत्पादित साड़ियों को कारीगरों द्वारा शानदार कढ़ाई तथा जरी से सजाया जाता है. मऊ के साड़ियों का उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में भी भारी मांग है.

 

kushinagar

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kushinagar

जिले में प्रचुर मात्रा में केले के खेती के वजह से लोगों को इस उद्योग में आशाजनक संभावना नजर आ रही है. जिले में केले के रेशे से चटाई, रस्सी और सुतली का व्यापक मात्रा में उत्पाद किया जा रहा है. बाकी केले का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए किया जाता है.

 

अयोध्या

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अयोध्या

प्रभु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में सैकड़ो वर्षों से वहां के लोग पारंपरिक तौर पर गुड़ बनाने का कार्य कर रहे हैं. जिले के कुल कृषि भूमि का लगभग 20 प्रतिशत भाग गन्ने की खेती के लिए उपयोग किया जाता है.